Molestation Case: चैतन्यानंद सरस्वती की जान को खतरा...कोर्ट में आरोपी का दावा, जानें मामला?

Chaitanyananda Saraswati Case: साउथ-वेस्ट दिल्ली के एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट में 16 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने वाले आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती ने अपनी जान को खतरा बताया है। आरोपी चैतन्यानंद ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया कि तिहाड़ जेल में उसकी जान को खतरा है। दरअसल, शुक्रवार को स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद की 14 दिन की हिरासत पूरी हुई, जिसके बाद पुलिस ने उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिमेष कुमार के समक्ष पेश किया।
कोर्ट में आरोपी चैतन्यानंद ने दावा किया कि तिहाड़ जेल में उसकी जान को खतरा है। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों से इसकी डिटेल रिपोर्ट मांगी। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
चैतन्यानंद ने कोर्ट को दी शिकायत
आरोपी चैतन्यानंद ने कोर्ट में जेल अधिकारियों के रवैये को लेकर शिकायत की। आरोपी ने बताया कि जेल अधिकारियों से कई बार आग्रह करने के बावजूद उसे साधु के कपड़े पहनने के लिए नहीं दिए गए। इसके अलावा साधुओं वाला भोजन (बिना लहसुन-प्याज वाला) भी नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने जेल अधिकारियों से रिपोर्ट की मांगी है।
बता दें कि आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती श्रीशारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च का पूर्व प्रबंधक है। उसके ऊपर इंस्टीट्यूट की कई छात्राओं ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। इस मामले में चैतन्यानंद न्यायिक हिरासत में है।
28 सितंबर को हुआ था गिरफ्तार
आरोपी चैतन्यानंद को दिल्ली पुलिस ने 28 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार किया था। पुलिस की एफआईआर के अनुसार, चैतन्यानंद कथित तौर पर देर रात इंस्टीट्यूट की छात्राओं को अपने क्वार्टर में बुलाता था। उसके अलावा वह छात्राओं को अश्लील मैसेज भी करता था। आरोपी चैतन्यानंद पर अपने फोन से कैंपस में लगे कैमरों के जरिए छात्राओं पर नजर रखने का भी आरोप है। 13 अक्टूबर को सत्र न्यायालय ने कहा था कि पीड़ितों की संख्या को देखते हुए अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ जाती है।
इसके बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। फिर 27 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने सत्र न्यायालय को बताया कि उन्होंने मामले से जुड़े 16 पीड़ितों में से 9 से पूछताछ कर ली है। इसके बाद 7 नवंबर को आरोपी चैतन्यानंद ने एक सत्र अदालत से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी। आरोपी के वकील ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश को बताया कि याचिका वापस ली जा रही है, क्योंकि आरोपपत्र दाखिल होने के बाद आरोपों की जांच की जानी है।
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