Delhi MCD: दिल्ली में 'इंस्पेक्टर राज' खत्म, कारोबारियों को मिलेंगी ये सुविधाएं

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दिल्ली एमसीडी मे कारोबारियों की दी बड़ी राहत।

Delhi MCD: दिल्ली में अब व्यापारियों को फैक्ट्री चलाने के लिए अलग से लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनके प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद को ही वैलिड फैक्ट्री लाइसेंस माना जाएगा।

Delhi MCD New Rule: देश की राजधानी दिल्ली में फैक्ट्री चलाने वाले कारोबारियों को बड़ी राहत दी गई है। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए फैक्ट्री लाइसेंस की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत दिल्ली के अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री मालिकों को MCD से अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। MCD के नए नियमों के मुताबिक, फैक्ट्री मालिकों की प्रॉपर्टी टैक्स रसीद को ही वैध फैक्ट्री लाइसेंस माना जाएगा।

दिल्ली सरकार और सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उद्यम (MSME) मंत्रालय के उद्यम पंजीकरण सर्टिफिकेट को दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 416 और 417 के तहत 'फैक्ट्री लाइसेंस' माना जाएगा। इससे हजारों कारोबारियों को राहत मिलेगी।

प्रॉपर्टी टैक्स के साथ ही जमा हो लाइसेंस शुल्क

MCD के नए नियमों के मुताबिक, अब दिल्ली के व्यापारी प्रॉपर्टी टैक्स के साथ ही फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क जमा करा सकेगें। इसका मतलब है कि अब एक रसीद में प्रॉपर्टी टैक्स और फैक्ट्री लाइसेंस दोनों का काम हो जाएगा। इसके लिए व्यापारियों को MCD ऑफिस का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। व्यापारी निगम की वेबसाइट पर अपने प्रॉपर्टी टैक्स के साथ फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क भी ऑनलाइन जमा कर पाएंगे, जो कि प्रॉपर्टी टैक्स का 5 फीसदी होगा। अगर किसी व्यापारी का प्रॉपर्टी टैक्स 1 लाख रुपए है, तो उसे 5 हजार रुपए फैक्टरी लाइसेंस का चार्ज देना होगा।

इंस्पेक्टर राज से मिला छुटकारा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली नगर निगम के इस फैसले से 1 लाख से ज्यादा व्यापारियों को लाभ मिलेगा। MCD के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि इससे फैक्ट्री लाइसेंस को रिन्यू करने का प्रक्रिया में इंस्पेक्टर राज खत्म हो जाएगा। साथ ही फैक्ट्री मालिकों को बार-बार निरीक्षण का झंझट खत्म हो गया। MCD ने साफ किया कि नई व्यवस्था के तहत कोई निरीक्षक फैक्टरी में जांच के लिए नहीं जाएगा। इसके साथ ही निरीक्षण के नाम पर वसूली से भी छुटकारा मिलेगा।

इन क्षेत्रों में नियम होगा लागू

दिल्ली नगर निगम के यह नया फैसला 56 औद्योगिक क्षेत्रों में लागू होगा। इसमें दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (DSIIDC) द्वारा बसाए गए 29 औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा साल 2001 के बाद रिहायशी इलाकों में बने 27 औद्योगिक क्षेत्रों में लागू होगा।

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