Liquor Sale Revenue: दिल्ली में खूब छलक रहे जाम... शराब की बिक्री से बंपर कमाई, कितना भरा खजाना?

Revenue from liquor sales increased in Delhi
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दिल्ली में शराब की बिक्री से बढ़ा राजस्व।

Delhi Liquor Sale: दिल्ली में इस साल शराब की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। आबकारी विभाग ने 2025-26 की पहली छमाही में 4,192.86 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व प्राप्त कर लिया है। देखें पूरी रिपोर्ट...

Delhi Liquor Sale Revenue: दिल्ली में नई शराब नीति लागू करने पर विचार किया जा रहा है। इस बीच राजधानी में शराब की बिक्री लगातार बढ़ रही है। इस साल दिल्ली के आबकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी देखी गई है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में दिल्ली सरकार के आबकारी राजस्व कुल 4,192.86 करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं, पिछले साल अप्रैल-सितंबर 2024-25 में इसी अवधि के दौरान 3,731.79 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।

इसका मतलब है कि 2025-26 की पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में 12.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि वैट (मूल्य वर्धित टैक्स) के आंकड़े सिर्फ 16 सितंबर तक के ही उपलब्ध हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पहली छमाही के आंकड़ों में इजाफा होने की उम्मीद है।

त्योहारों पर बिक्री बढ़ने की उम्मीद

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शराब बिक्री में बढ़ोतरी की वजह से 2025-26 में 6,000 करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व लक्ष्य का आधा आंकड़ा पार हो गया है। त्योहारों के मौसम के समय और नए साल के आसपास शराब की ज्यादा बिक्री होने की संभावना है, जिससे आबकारी राजस्व का टारगेट पार हो सकता है।

कितनी हुई सरकार की कमाई?

मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में प्राप्त राजस्व में 4,192.86 करोड़ रुपये में वैट भी शामिल है। पिछले साल अप्रैल-सितंबर 2024-25 में हर महीने आबकारी राजस्व (वैट को छोड़कर) 279.81 करोड़ रुपये थी। वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में 84.86 फीसदी बढ़कर 517.26 करोड़ रुपये हो गई। अप्रैल-सितंबर 2024-25 में वैट को छोड़कर राजस्व 2,598.04 करोड़ था, जो कि चालू वित्तीय वर्ष में बढ़कर 3,043.39 करोड़ रुपये हो गया।

इस साल 6000 करोड़ राजस्व का टारगेट

दिल्ली में आबकारी विभाग से होने वाली कमाई सरकार के खजाने को भरने में अहम भूमिका है। बजट 2025-26 में दिल्ली सरकार ने आबकारी विभाग से कुल 7,000 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान लगाया था। हालांकि बाद में इसे कम करके 6,000 करोड़ कर दिया गया था।

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