JNUSU: छात्रों के विरोध के बाद JNU लाइब्रेरी से हटाया गया 'फेस रिकग्निशन सिस्टम'...पढ़ें पूरा मामला

JNU से हटाया गया 'फेस रिकग्निशन सिस्टम'।
Delhi JNU: दिल्ली के जवाहरलाल लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' के खिलाफ स्टूडेंट्स काफी लंबे समय से विरोध कर रहे थे, जिसके चलते यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी से 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' को हटा दिया गया है। इस सिस्टम के तहत स्टूडेंट्स को चेहरा दर्ज करने के बाद एंट्री मिलती थी।
'फेस रिकग्निशन सिस्टम' को जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने स्टूडेंट्स के अधिकारों का हनन बताया था, जिसके चलते प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि फेस रिकग्निशन सिस्टम से यूनिवर्सिटी कैंपस की लोकतांत्रिक परंपरा को नुकसान हो रहा है।
स्टूडेंट्स ने क्या आरोप लगाए ?
जानकारी के मुताबिक, छात्रों का कहना था कि यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह की निगरानी की व्यवस्था गलत है। जेएनयू छात्र संघ के महासचिव सुनील यादव का आरोप था कि छात्र संघ चुनाव के दौरान इन उपकरणों को चुपके से लगाया गया था। मुद्दे की जांच के लिए गठित समिति ने अभी अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। छात्र संघ ने यह भी दावा किया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले उन्हें आश्वासन दिया था कि किसी भी बड़े फैसले को लेकर स्टूडेंट्स से पहले चर्चा की जाएगी।
समिति का गठन करके विचार विमर्श के बाद ही कोई नया सिस्टम लागू किया जाएगा, हालांकि ऐसा नहीं हुआ। स्टूडेंट्स का आरोप है कि लाइब्रेरियन मनोरमा त्रिपाठी नया सिस्टम लागू करने और उसे आगे बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई थी, जबकि छात्रों से कोई बात नहीं की गई थी। छात्रों का आरोप है कि नियम लागू करने से पहले कोई समिति नहीं बनाई गई और ना स्टूडेंट्स को इस बारे में बताया गया।
नियंत्रणकारी सिस्टम का विरोध जरूरी- स्टूडेंट्स
स्टूडेंट्स ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि जेएनयू की लाइब्रेरी को 'चेकपोस्ट' में तब्दील कर दिया गया है। स्टूडेंट्स ने कहा कि यह सुरक्षित जगह है, हर स्टूडेंट्स तक इसकी समान पहुंच होना जरूरी है। जिसके चलते JNUSU ने अपील की थी कि कैंपस में किसी तरह की नियंत्रणकारी सिस्टम को लागू नहीं किया जाए और अगर इस तरह का सिस्टम लागू होता है तो इसका विरोध जरूरी है।
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