दिल्ली जल बोर्ड स्कैम: DJB घोटाले में ED की चार्जशीट... सत्येंद्र जैन समेत 14 लोग आरोपी, जानें मामला

Delhi Jal Board Scam
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दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में सत्येंद्र जैन समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल।

Delhi Jal Board Scam: दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन समेत 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। ईडी के अनुसार, आरोपियों ने मिलकर कुल 17.70 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।

Delhi Jal Board Scam: दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशायल ने दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े टेंडर घोटाले में कुल 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इनमें दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन का नाम भी शामिल है। इसके अलावा पूर्व सीईओ उदित प्रकाश राय, पूर्व मेंबर अजय गुप्ता, पूर्व चीफ इंजीनियर सतीश चंद्र वशिष्ठ और अन्य लोग शामिल हैं।

इन सभी पर घोटाला से जुड़े मामले में बड़े आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत शिकायत दर्ज की गई है। जानें क्या है दिल्ली जल बोर्ड घोटाला...

क्या है दिल्ली जल बोर्ड स्कैम?

दरअसल, यह पूरा मामला दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की मरम्मत और अपग्रेडेशन से जुड़े 4 टेंडरों में भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में पहले एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में आरोप था कि यूरोटेक

एनवायरनमेंटल प्राइवेट लिमिटेड (ईईपीएल) नाम की कंपनी ने डीजेबी से जुड़े 10 एसटीपी की अपग्रेडेशन परियोजनाओं में बड़ा घोटाला किया है। ये प्रोजेक्ट पापांकलां, निलोठी, नजफगढ़, केशोपुर, कोरोनेशन पिलर, नरेला, रोहिणी और कोंडली में बने एसटीपी के अपग्रेडेशन के लिए जारी किए गए थे। बाद में इसी एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की।

ईडी की जांच में क्या मिला?

ईडी की जांच में सामने आया कि यूरोटेक एनवायरनमेंटल प्राइवेट लिमिटेड (ईईपीएल) नाम की कंपनी के डायरेक्टर राजकुमार कुर्रा ने डीजेबी के कुछ अधिकारियों और निजी लोगों से मिलकर टेंडर की शर्तों में हेरफेर किया। डीजेबी के टेंडर की शर्तें इस तरह बनाई गईं, जिससे सिर्फ एक खास तरह की तकनीक आईएएफएस तकनीक (फिक्स्ड मीडिया) को ही स्वीकार किया जाए। इस टेक्नोलॉजी सिर्फ ईईपीएल कंपनी देती थी। इससे कोई दूसरी कंपनी टेंडर में हिस्सा ही नहीं ले पाई, जिसका फायदा ईईपीएल कंपनी को हुआ।

6.73 करोड़ की रिश्वत

जांच के अनुसार, ईईपीएल के डायरेक्टर राजकुमार कुर्रा ने अधिकारियों और बिचौलियों को 6.73 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इस पैसे को बैंक के जरिए, फर्जी बिल और कैश में दिया गया। पीएमएलए, 2002 के तहत यह अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है। ईडी के अनुसार, टेंडरों में हेरफेर की वजह से ईईपीएल कंपनी को 9.96 करोड़ रुपये का अवैध फायदा हुआ।

कुल 17.70 करोड़ का घोटाला

ईडी ने बताया कि सत्येंद्र जैन, पूर्व सीईओ उदित प्रकाश राय, पूर्व मेंबर अजय गुप्ता समेत अन्य लोग लगभग 17.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को संभालने, छुपाने, कब्जा और इस्तेमाल करने में शामिल हैं। आरोपियों ने इस तरह मनी लॉन्ड्रिंग की, जिसकी वजह से उन्हें आरोपी बनाया गया है। ईडी ने इस मामले में अभी तक अलग-अलग लोगों की कुल 15.36 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति कुर्क की है।

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