Delhi Jal Board: पेयजल समस्या... दिल्ली जल बोर्ड ने घाटे से उबरने का बनाया प्लान, जानिये कौन-कौन नपेंगे

delhi Jal board plans to overcome losses
X
दिल्ली जल बोर्ड पेयजल सप्लाई से जुड़ी कई विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत। 
दिल्ली जल बोर्ड ने घाटे से उबरने का प्लान बना लिया है, वहीं अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है। इस प्लान से सुधरेगी पेयजल सप्लाई, जानिये यहां...

दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद दिल्ली जल बोर्ड ने भी घाटे से उभरने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में एक तरफ जहां पानी की बर्बादी करने वालों पर निगरानी रखी जाएगी, वहीं दूसरी तरफ पानी के बिल न भरने वाले डिफ्लाटर उपभोक्ताओं की भी पहचान सुनिश्चित की जाएगी। यही नहीं, मनमुताबिक पानी की रीडिंग लेने वाले मीटर रीडिरों पर भी शिकंसा कसा जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राजस्व घाटे को कम करने के लिए पेयजल बिल वसूलने के लिए नई प्रणाली अपनाने की योजना बनाई जा रही है। इसी कड़ी में पूरे शहर में पानी के पुराने मीटरों को स्मार्ट मीटरों में बदला जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक दिल्ली में सिर्फ 29 लाख कनेक्शन हैं, जबकि उपभोक्तओं की संख्या अधिक है। ऐसे में इस खामी को भी सुधारा जाएगा ताकि घाटे को कम किया जा सके।

पानी की सब्सिडी में बदलाव पर भी विचार

दिल्ली में प्रत्येक परिवार के लिए 20000 लीटर पानी मुफ्त है। आम आदमी पार्टी के इस फैसले को भाजपा सरकार ने भी जारी रखा है। लेकिन बिल न भरने वाले पर शिकंजा कसने के लिए बिल की दरों में संशोधन पर विचार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि फरवरी 2018 में आखिरी बार पानी बिल की दरों में संशोधन हुआ था। दिल्ली जल बोर्ड के घाटे को कम करने और भविष्य में पेयजल सप्लाई को बेहतर बनाने के लिए बिजली बिलों की दरों में वृद्धि करने का प्रस्ताव दिया गया है।

मीटर रीडरों पर भी कसेगा शिकंजा?

दिल्ली जल बोर्ड के 41 जोन में करीब 900 मीटर रीडिर हैं। अधिकारियों ने बताया कि कुछ शिकायतें मिली हैं कि मीटर रीडर अपने हिसाब से बिल बना लेते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी आती है। साथ ही, दिल्ली जल बोर्ड को भी घाटा झेलना पड़ता है। इससे निपटने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में छोड़े जा रहे पानी और इन स्थानों के बिलों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि पता लग सके कि कौन से क्षेत्र में किस तरह की गड़बड़ी की जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, पानी की खपत के हिसाब से बिल भेजे जाएंगे। इन बिलों के भुगतान के लिए उपभोक्ताओं को समय भी दिया जाएगा। लेकिन, तय अवधि के बाद भी बिल नहीं भरा तो जुर्माना भी देना पड़ेगा।

आधा पानी व्यर्थ बह रहा?

अधिकारियों ने एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया कि दिल्ली में अभी भी 50 फीसद पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रहा। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने 2011-12 में रिपोर्ट दी थी कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए व्यापक रोडमैप बनाने की आवश्यकता है। पिछली सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन भाजपा सरकार इस पर विचार करने के लिए गंभीर है। अधिकारियों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह और सीएम रेखा गुप्ता के बीच पानी के मुद्दे पर बैठक हुई थी। पता चला है कि जीआईसीए ने जो सिफारिशें की हैं, उसे धरातल पर लाने के लिए आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय इनकी अगुआई करेगा ताकि केंद्र की मदद से दिल्ली पेयजल समस्या को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके।

दिल्ली जल बोर्ड पर कितना कर्जा?

दिल्ली जल बोर्ड को हर साल करीब 1200 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। सितंबर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड पर कुल 73000 करोड़ रुपये का घाटा है। वहीं, उपभोक्तओं की मानें तो 2014-15 में 18, 94096 थी, जबकि 2024-25 में लगभग डबल होकर 27.64 लाख रुपये हो गई। यही वजह है कि पानी के मीटर बदलने से लेकर बिल वसूलने तक, कई अहम बदलाव करने की आवश्यकता है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story