Delhi Jal Board: यमुना को 'जिंदा' करने की कवायद, दिल्ली जल बोर्ड लाया 'संजीवनी'

यमुना का प्रदूषण कम करने के लिए डीजेबी की अहम कवायद
दिल्ली से होकर बह रही यमुना नदी मानसून के सीजन में विकराल रूप धारण कर राजधानी को डूबाने पर उतारू लगती है। ऐसा लगता है कि मानों अपने जल को प्रदूषित करने वालों को सजा देना चाहती है। यमुना नदी में प्रदूषण खत्म करने के दावे सालों से अधूरे पड़े हैं। लेकिन, मौजूदा भाजपा शासित दिल्ली सरकार ने यमुना को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया है। इसी कड़ी में ऐसा अहम कदम उठाया गया है, जिससे यमुना का प्रदूषण कम होने की उम्मीद है।
दिल्ली के जल संसाधन मंत्री प्रवेश वर्मा की अध्यक्षता में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। बैठक में यमुना को स्वच्छ करने की दिशा में कई अहम निर्णय लिए गए। खास बात है कि दिल्ली जल बोर्ड ने शहर के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के कई अपग्रेडेशन कार्यों को मंजूरी दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना विहार फेज 3 में मौजूदा 25 मिलियन गैलन प्रतिदिन क्षमता वाले एसटीपी का विस्तार 40 एमजीडी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके अलावा, यमुना विहार फेज 4 में 15 एमजीडी क्षमता वाला नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। अधिकारियों की मानें तो इन परियोजनाओं पर कुल 403 करोड़ रुपये की लागत आएगी। खास बात है कि इस राशि से 12 वर्षों तक इन एसटीपी का संचालन और रखरखाव कार्य भी होते रहेंगे।
यमुना का प्रदूषण काफी कम होगा
इन अपग्रेडेशन कार्यों के चलते 30 एमजीडी पानी के उपचार की क्षमता बढ़ जाएगी। इससे यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि केशोपुर एसटीपी चरण 1 के अपग्रेडेशन को भी मंजूरी दे दी गई है। इसके अपग्रेडेशन के बाद इस एसटीपी की क्षमता 12 एमजीडी से बढ़कर 18 एमजीडी हो जाएगी। इस परियोजना पर 133.33 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 11 वर्षों तक इस एसटीपी का एनजीटी के दिशानिर्देशों के अनुरूप संचालन और रखरखाव होगा।
इन एसटीपी को भी होगा अपग्रेडेशन
वसंत कुंज, घिटोरनी, महरौली और ओखला समेत कई अन्य सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का विस्तार किया जाएगा। इन सभी परियोजनाओं पर 381 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके परियोजना के पूरी होने के बाद जल की उपचार क्षमता में 15.5 एमजीडी की वृद्धि होगी। दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का अपग्रेडेशन कार्य जहां एक तरफ यमुना को स्वच्छ कर लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने में मदद करेगा, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरणीय चुनौती के भी समाधान होने की पूरी उम्मीद है।
