Delhi Airport: IGI एयरपोर्ट पर विमानों के GPS से छेड़छाड़... रनवे पर पायलट ने देखे खेत, क्या है मामला?

Delhi IGI Airport Technical  Issue
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दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी खराबी का मामले में बड़ा खुलासा।

Delhi Airport Technical Issue: दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी खराबी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि विमानों के जीपीएस से छेड़छाड़ हुई थी, जिससे पायलट को रनवे की जगह खेत दिखाई दे रहे थे।

Delhi IGI Airport Technical Issue: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट पर 7 नवंबर को तकनीकी खराबी के कारण 800 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुई थीं। इस तकनीकी खराबी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच में सामने आया कि आईजीआई एयरपोर्ट पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के सिग्नल से छेड़छाड़ की गई थी। 6-7 नवंबर को शाम करीब 7 बजे यात्री विमान के पायलटों को जीपीएस से फेक सिग्नल मिल रहे थे।

जानकारी के मुताबिक, फेक सिग्नल की वजह से कॉकपिट स्क्रीन पर विमान की पोजिशन ही बदल गई। साथ ही एक नई तस्वीर स्क्रीन पर दिखाई देने लगी। इस दौरान पायलट को रनवे की बजाय खेत दिखने लगे। पायलटों को विमान की ऊंचाई को लेकर भी भ्रम होने लगा था, जिसके बाद विमानों को जीपीएस बेस्ड ऑटो मैसेजिंग की जगह पर मैनुअल पोजीशन पर शिफ्ट होना पड़ा।

7 नवंबर को हुई थी तकनीकी खराबी

दरअसल, 7 नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) के ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (एएमएसएस) में तकनीकी खराबी आ गई थी। इसकी वजह से फ्लाइट लैंड और टेकऑफ नहीं कर पा रहीं थी, क्योंकि उन्हें सही लोकेशन नहीं मिल रही थी। इसके कारण आईजीआई एयरपोर्ट पर 12 घंटे से ज्यादा समय पर उड़ानें बाधित रहीं। इस दौरान 800 से ज्यादा उड़ानें लेट हुईं, जबकि 20 फ्लाइट को रद्द करना पड़ा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) और अन्य टेक्निकल टीमों की मदद से तकनीकी खराबी को दूर किया गया, जिसके बाद फ्लाइट सेवाएं फिर से बहाल हो पाईं। इसके बाद आईजीआई एयरपोर्ट पर फ्लाइट ऑपरेशन्स को नॉर्मल होने में 48 घंटे तक का समय लग गया।

ऐसे टाला गया बड़ा हादसा

विमानों के जीपीएस में छेड़छाड़ की वजह से एटीएस (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) को मैसेज देरी से मिल रहे थे। इसके चलते कई विमानों को आईजीआई एयरपोर्ट की बजाय दूसरे हवाई अड्डों की ओर से डायवर्ट किया गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही पर ब्रेक लगा गया था। इसकी वजह से दिल्ली के आसमान में विमानों की संख्या बढ़ने लगी थी। ऐसे में एयर स्पेस में विमानों के बीच की दूरी को बढ़ाया गया, जिससे कोई बड़ा हादसा न हो।

दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक सिस्टम में आई तकनीकी खराबी को गंभीरता से लिया गया है। इसको लेकर हाई लेवल जांच की जा रही है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार शाम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ऑफिस में बैठक के बाद यह फैसला लिया। इसमें एयरपोर्ट, सुरक्षा एजेंसियों समेत अन्य सभी स्टेकहोल्डरों को बुलाया गया था। इस मामले में जांच की जाएगी कि क्या इस तकनीकी खराबी की साजिश के पीछे किसी बाहरी देश या ताकत का हाथ था?

एक्सपर्ट्स की क्या राय?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक नामी साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि अमेरिका से संचालित होने वाले जीपीएस के सिविलियन सिग्नल की नकल करना पहले सिर्फ सैद्धांतिक लगता था, लेकिन अब यह बहुत आसानी से किया जा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई इस साजिश में किसी विदेशी सरकार ने हैकर्स की मदद की, जो कि एक बड़ा खतरा है।

एक्सपर्ट ने बताया कि हाल में दिल्ली एयरपोर्ट पर जो घटना हुई, उसमें हैकर्स ने फेक सिग्नल ब्लास्ट किया यानी बड़ी संख्या में नकली सिग्नल भेजे। इससे फ्लाइट के पायलटों को भ्रम हुआ और फिर एएमएसएस भी क्रैश हो गया। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सिविलियन जीपीएस ओपन सीए सिग्नल देता है, जिसे स्यूडो रैंडम नॉयज (पीआरएन) के आधार पर रिसीव किया जाता है। पीआरएन सिग्नल की कॉपी की जा सकती है। वहीं, मिलिट्री ग्रेड जीपीएस एन्क्रिप्टेड होते हैं, जिनमें कोई भी दखल नहीं देता है।

इसरो की सैटेलाइट करेगी मदद

हाल के दिनों में देश में यात्री फ्लाइट के जीपीएस से छेड़छाड़ के बहुत से मामले दर्ज किए गए हैं। डीजीसीए ने पिछले कुछ महीनों में इस तरह के 465 से ज्यादा फेक सिग्नल रिकॉर्ड किए हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं जम्मू-कश्मीर और अमृतसर जैसे बॉर्डर वाले इलाकों में आए। भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो का स्वदेशी सैटेलाइट सिस्टम 'नाविक' विमानन सुरक्षा बढ़ाने के लिए तैयार हो गया है। पिछले महीने ही इसके तय किए गए हैं और यह पूरी तरह से भारत कंट्रोल में है। एक्सपर्ट्स की मानें, तो अगर नाविक सैटेलाइट इस्तेमाल में होता, तो दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई घटना को रोका जा सकता था।

7 नवंबर को हुई थी भारी समस्या

बता दें कि 7 नवंबर को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर एटीसी के ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण 12 घंटे तक उड़ान सेवाएं ठप रही थीं। इस दौरान 800 से ज्यादा डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट डिले हुई थीं, जबकि 20 उड़ानें रद्द की गई थीं। 7 नवंबर की सुबह 9 बजे ही तकनीकी खराबी हुई थी, जिसे ठीक करने में रात के लगभग 9 बज गए थे।

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने शुक्रवार शाम 8:56 बजे बताया था कि एएमएसएस सिस्टम ठीक हो गया है और सामान्य रूप से काम कर रहा है। उस दिन तकनीकी खराबी के कारण ज्यादातर फ्लाइट्स ने 50-55 मिनट की देरी से उड़ान भरी थी, जबकि कुछ फ्लाइट 1-2 घंटे तक डिले हुए थे।

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