Delhi History: दिल्ली की जामुन वाली गली, जहां कभी होता था जामुन का पेड़ और एक कुआं, जानें इसकी कहानी

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दिल्ली की जामुन वाली गली

Delhi History: दिल्ली में अनेक पुरानी गलियां हैं। इन्हीं गलियों में से एक जामुन वाली गली है। इस गली का नाम जामुन के पेड़ के कारण रखा गया था।

Delhi Jamun Vali Gali: दिल्ली में अनेक पुरानी और तंग गलियां मौजूद हैं। उनमें से एक फेमस गली का नाम 'जामुन वाली गली' है। इसका नाम सुनते ही दिल में ऐसा ख्याल आता है कि शायद यहां पर कोई जामुन का बड़ा पेड़ होगा, जिसके जामुनों को बच्चे लाठियां लेकर झाड़ते होंगे। लेकिन अब ऐसा कोई भी पेड़ मौजूद नहीं है। केवल नाम बचा है जोकि इस गली के बूढ़े लोगो की यादों में बचा है।

कभी इस गली में जामुन का एक विशाल पेड़ हुआ करता था, जिसकी छांव में बच्चे खेलते और जामुन तोड़ते थे। आज वह जामुन का पेड़ लोगों के दिलों में जिंदा हैं। यह गली दिल्ली के उस पुराने दौर की निशानी है जब गलियां पेड़ों और कहानियों से भरी रहती थीं।

बच्चे लाठी मार-मारकर लूटते थे जामुन

स्थानीय बुजुर्ग निवासियों का कहना है कि बहुत समय पहले यहां पर एक बहुत बड़ा जामुन का पेड़ हुआ करता था। उस पेड़ की छांव इतनी बड़ी थी कि आधी से ज्यादा गली उसमें ढक जाती थी। जब जामुन पकने का मौसम आता, तो बच्चे लाठियों से पेड़ पर मारते और ऊपर से जामुन बरसने लगते थे। ऐसा लगता मानो आसमान से काले मोती गिर रहे हों। बच्चे उन्हें इकट्ठा करते और मिलकर खाते। वो समय बचपन की यादों का अहम हिस्सा रहा है।

पुरानी मस्जिद भी मौजूद

जामुन वाली गली में एक पुरानी मस्जिद भी है, जिसे लोग जामुन वाली मस्जिद कहते हैं। उसी मस्जिद के आंगन में वह पेड़ हुआ करता था। पेड़ के पास ही एक मीठे पानी का कुआं हुआ करता था। लोगों का कहना है कि इस कुएं का पानी बहुत ज्यादा मीठा था। लेकिन बच्चों की सुरक्षा के चलते इस कुएं को ढक दिया गया था।

गिरने के डर से काट दिया गया जामुन का पेड़

समय के साथ पेड़ बूढ़ा और कमजोर होने लगा था। इसके गिरने के डर के कारण लोगों ने 50 साल पहले उसे काटने का फैसला लिया। इसके बाद न तो पेड़ रहा, न उसकी छांव, बस उसका नाम बचा रह गया, जामुन वाली गली। लोगों का कहना है कि दिल्ली में कई गलियां ऐसी हैं जिनका नाम पेड़ों के ऊपर रखा गया था। इनके नाम इमली वाली गली, अमरूद वाली गली हैं। 'जामुन वाली गली' आज दिल्ली के बीते समय की एक निशानी बन चुकी है। जहां कभी पेड़, छांव , जामुन और बच्चों की हंसी गूंजती थी। अब वह पेड़ सिर्फ इतिहास बनकर रह गया।

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