Delhi Daryaganj: दिल्ली में सचमुच बहती थी दरिया! क्या है दरियागंज नाम के पीछे की अनकही कहानी

दिल्ली के दरियागंज की अनोखी दास्तान।
Delhi Daryaganj Story: दिल्ली का दरियागंज एक ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ संस्कृति स्थल भी है। इस स्थान का नाम दो अधूरे नामों को जोड़कर बनाया गया दरिया और गंज। इसमें दरिया का मतलब है नदी, जबकि गंज का मतलब बाजार है। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर इसका नाम दरियागंज क्यों पड़ा? क्या यहां पर दरिया में बाजार था या कोई नदी बहती थी। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी...
इस स्थान की स्थिति के कारण इसका नाम दरियागंज रखा गया है। यह इलाका मुगल शासक शाहजहां के दौर से जुड़ा हुआ है। जब 17वीं शताब्दी में शाहजहांनाबाद (अब पुरानी दिल्ली) की नींव रखी गई थी। दिल्ली के यह इलाका यमुना नदी के किनारे बसा था, जो नदी के तट पर एक व्यापारिक केंद्र था।इसके कारण ही इस जगह का नाम दरियागंज रखा गया था। आज भले ही नदियों ने अपना रास्ता बदल लिया है, लेकिन लोग आज भी इसे दरियागंज के नाम से जानते हैं।
वाणिज्यिक केंद्र था दरियागंज
ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में यह स्थान क प्रसिद्ध वाणिज्यिक केंद्र भी हुआ करता था। यहां के इमारतों की खूबसूरत नक्काशी, हवेली, वास्तुकलाएं हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं। यहां पर इतिहास और वास्तुकला की मिसाल के तौर पर औरंगजेब की बेटी जीनत-उल-निसा के नाम पर एक मस्जिद जीनत-उल-मस्जिद भी है।
किताबों का अंबार
दिल्ली का दरियागंज इलाका सस्ती और दुर्लभ किताबों के लिए भी मशहूर है। यहां पर आने वाले लोगों को कहना है कि दरियागंज में विद्यार्थियों के पढ़ने के लिए इतनी ज्यादा किताबें हैं कि समझ नहीं पाएंगे कि कौन सी किताब आपको पढ़नी चाहिए। किताबें पढ़ने का शौक रखने वाले लोगों के लिए यह काफी बेहतर स्थान माना जाता है।
दरियागंज की खूबसूरती
वैसे तो इतिहास से ताल्लुक रखने वाली हर चीज अपने आप में खास है। हालांकि अगर दरियागंज की बात की आ जाए, तो मुगल काल की वास्तुकला, हवेलियां, वहां की छोटी तंग गलियों लोगों के जहन में इतिहास को दोहरा देती हैं। यहां की वास्तुकला पुराने दौर के इतिहास की कहानी बयां करती हैं। यह जगह लोगों के घूमने के लिए भी अच्छी मानी जाती है।
