Delhi Temples: मुगलों के जमाने में बने थे दिल्ली के ये हिंदू मंदिर, जानें इनका इतिहास

Delhi Hindu temple
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दिल्ली में प्राचीन हिंदू मंदिर

Delhi Temples: दिल्ली में कई फेमस हिंदू मंदिर अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए थे। आज हम दिल्ली के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जो मुगल शासन काल में बनाए गए थे।

Delhi Temple: दिल्ली में आज भी ऐसे कई पुराने मंदिर मौजूद हैं, जो मुगल और अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए थे। एक समय था जब एक ओर मुगल शासन काल में हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर मंदिरों का निर्माण करवाया जा रहा था। मुगल जमाने के दिल्ली के हिंदू मंदिरों में खूब भीड़ देखने को मिलती है। आज इन मंदिरों में हिंदू रीति-रिवाजों से पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों का लंबा तांता लगता है। इन मंदिरों में कई नाम शामिल हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में...

चांदनी चौक


दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित उर्दू मंदिर सबसे पुराना मंदिर है। जिसका निर्माण शाहजहां के शासनकाल में किया गया था। इस मंदिर में विराजमान तीर्थांकर परस्वानाथ की मूर्ति सन् 1491 की है। उस समय इस मंदिर के आस-पास के एरिया को ऊर्दू बाजार के नाम से जाना जाता था। 1947 के बाद से इस मंदिर को लाल मंदिर के नाम से जाना जाता है।

चरण दास


यह चरण दास की बगीची है जिसे 'द गार्डन ऑफ चरण दास' भी कहते हैं, जो कि हिंदू संत की एकमात्र मुगल समाधि है। चरण दास हिंदू तपस्वी थे, जो सम्राट मुहम्मद शाह रेंजेला के बहुत करीबी थे।

घंटीश्वेवर महादेव शिवालय


घंटीश्वेवर महादेव शिवालय को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के शासनकाल में बनवाया गया था। आज यह मंदिर शाजहानाबाद के शैव समुदाय का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर दिल्ली के नील कटरा में स्थित है।

खुन्जी शिवालय मंदिर


खुन्जी शिवालय मंदिर को आज धुमी लाल खन्ना शिवालय कहा जाता है। इसे सम्राट अकबर द्वितीय के शासनकाल में बनवाया गया था। इस मंदिर का गुंबद मुगल शैली में कमल के आकार का बनाया गया था। यह शिवालय चांदनी चौक के कटरा नील बाजार में है।

बाबा लालू जसराई शिवालय

इस शिवालय को अकबर शाह द्वितीय के शासनकाल में लाला चांगामल नाम के एक व्यापारी ने करवाया था। यह मंदिर शिवजी भगवान को समर्पित है। यह मंदिर भी चांदनी चौक के कटरा नील में स्थित है। इस मंदिर में लाल किले के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।

लाडलीजी का मंदिर


यह राजधानी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह पुरानी दिल्ली के कटरा में स्थित है, जिसका निर्माण अहमद शाह बहादुर (1756) के राज में नौसैनिक गोस्वामी प्रद्युमनजी नाम के धार्मिक तपस्वी ने करवाया था।

नया जैन मंदिर


नय जान मंदिर भी दिल्ली के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में सबसे अच्छा मुगल इंटीरियर देखने को मिलता है। इसका निर्माण धरमपुरा क्षेत्र में 1807 ई. में राजा हरसुख राय ने करवाया था। राजा हरसुख राय हिसार से ताल्लुक रखने वाले अग्रवाल जैन थे, जो मुगल दरबार में कोषाध्यक्ष हुआ करते थे। ये चाहते थे कि ये मंदिर अन्य मंदिरों से अलग दिखे। पहले के समय शाहजनाबाद में मंदिरों के ऊपर शिखर बनाने की अनुमति नहीं थी। राजा हरसुख ने जैसे-तैसे करके अकबर द्वितीय को मनाकर अनुमति मांग ली। नया जैन मंदिर पहला ऐसा हिंदू मंदिर था, जिसके ऊपर शिखर का निर्माण किया गया।

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