DU Non-Teaching Staff Posting: दिल्ली हाईकोर्ट ने DU को लगाई फटकार, नॉन-टीचिंग स्टाफ को तुरंत दें पोस्टिंग, 2 साल हुए बर्बाद

DU Non-Teaching Staff Posting: साल 2023 में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने नॉन-टीचिंग स्टाफ की पोस्टिंग पर रोक लगा दी थी। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने DU के इस फैसले को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने DU प्रशासन को निर्देश दिया कि सभी चुने गए उम्मीदवारों के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद चयन प्रक्रिया की जाए। कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को अपनी संबंधित पोस्ट पर ज्वाइन करने की इजाजत दी है।
बता दें कि यह मामला साल 2023 का है। जब DU ने नॉन-टीचिंग स्टाफ के पदों के लिए उम्मीदवारों को ऑफर लेटर जारी करने के बाद उनकी ज्वाइनिंग रोक दी थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि DU की मनमानी और गलत फैसले की वजह से याचिकाकर्ता उम्मीदवारों ने अपनी लाइफ और करियर के लगभग 2 साल खो दिए।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने DU में लेबोरेटरी अटेंडेंट और लाइब्रेरी अटेंडेंट के लिए आवेदन किया था। उनका कहना है कि सभी ने इन दोनों पदों के लिए योग्य और पात्र होने के बाद अप्लाई किया था। इसके लिए उन्होंने अलॉट किए गए सेंटर पर NTA की ओर से कराया गया रिटेन एग्जाम भी पास किया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 4 जुलाई 2023 को NTA ने चुने गए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की।
इस लिस्ट के मुताबिक, 151 चयनित उम्मीदवारों का चयन लेबोरेटरी अटेंडेंट के पद के लिए और लाइब्रेरी अटेंडेंट पद के लिए 108 उम्मीदवारों का चयन किया गया। इसके बाद 18 अगस्त 2023 को उन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, जिन्हें फाइनल सिलेक्शन के बाद ऑफर लेटर जारी किया गया था। उन उम्मीदवारों को 15 दिनों के अंदर ज्वाइन करना था।
क्या है याचिकाकर्ताओं का आरोप?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कई उम्मीदवार देश के अलग-अलग हिस्सों में थे, जिसके चलते उन्हें ऑफर लेटर मिलने में करीब एक हफ्ते का समय लग गया। ऐसे में 24 अगस्त 2023 तक लेबोरेटरी अटेंडेंट की कैटेगरी में सिर्फ 9 उम्मीदवार और लाइब्रेरी अटेंडेंट की कैटेगरी के लिए 15 उम्मीदवार पहुंच सके। इसके बाद DU ने 25 अगस्त 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए सभी उम्मीदवारों की जॉइनिंग रोक दी। इनमें वे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने समय से रिपोर्ट किया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
हालांकि DU का कहना है कि उम्मीदवारों के साथ बातचीत में पता चला कि उनकी योग्यता रिटेन एग्जाम में उन्हें मिले नंबरों से मेल नहीं खाती है। DU का दावा है कि शायद इन उम्मीदवारों ने एग्जाम में अनुचित साधनों का इस्तेमाल किया है। हालांकि उसके पास इसे साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी के पास इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों के अनुसार परीक्षा रद्द करना उचित नहीं था। साथ ही चुने गए उम्मीदवारों को पोस्टिंग पाने का हक है।
