Delhi High Court: तिहाड़ जेल से नहीं हटेगी आतंकियों की कब्र? हिंदू संगठन की मांग पर दिल्ली HC का जवाब

दिल्ली HC ने तिहाड़ जेल से आतंकियों की कब्र हटाने की अर्जी पर सुनवाई ने किया इनकार।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को तिहाड़ जेल परिसर से आतंकी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से दायर की गई थी। इसमें अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को तिहाड़ जेल से हटाकर किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
बुधवार को इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका भी वापस ले ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि तिहाड़ जेल में इन दोनों की कब्र रखने से आपके कौन से मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है? किस नियम का उल्लंघन हो रहा है? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी की इच्छा के मुताबिक जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती।
याचिकाकर्ता की कोर्ट में दलील
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह बात पब्लिक डोमेन में है कि इन आतंकियों की कम्युनिटी के कुछ लोग बाहर अपराध करते हैं। इसके बाद वे जेल जाते हैं, तो इन दोनों कब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वकील ने कहा कि यह आतंकियों का महिमामंडन करने जैसा है। हालांकि हाईकोर्ट ने वकील की इस दलील पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि अपनी दलील को कानूनी पहलुओं तक ही सीमित रखें।
याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इस बात की इजाजत देता है कि फांसी की सजा पाए किसी दोषी को जेल में ही दफनाया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि यह घटना साल 2013 में हुई थी और अभी 12 साल बीत चुके हैं। किसी के अंतिम संस्कार का सम्मान किया जाना चाहिए।
VIDEO | Delhi: Advocate Barun Kumar Sinha on Delhi HC hearing on PIL seeking removal of graves of Afzal Guru, Maqbool Bhatt from Tihar jail premises says, "The court noted that data on the issue is unavailable, including distance and adherence to jail rules, and highlighted a… pic.twitter.com/AVn9JyY8bf
— Press Trust of India (@PTI_News) September 24, 2025
क्या बोले याचिकाकर्ता के वकील?
दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि अदालत ने पाया कि इस मुद्दे पर आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जिनमें दूरी और जेल नियमों के पालन से संबंधित आंकड़े शामिल हैं। साथ ही कोर्ट ने याचिका में सबूतों की कमी को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने कहा अगर उल्लंघनों को दर्शाने वाले आंकड़े मौजूद हैं, तो याचिका को मंजूरी मिल सकती है।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी। इसमें मांग की गई थी कि तिहाड़ जेल परिसर से आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने के निर्देश दिया जाए। इन आतंकियों को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।
