Delhi High Court: 'ब्लड मनी को मंजूरी नहीं...', दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार के हक में लिया फैसला।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने लापरवाही के कारण 5 साल के बच्चे की मौत के आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मुआवजे के समझौते के तहत रद्द करने से इनकार कर दिया। बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोई भी सभ्य समाज 'ब्लड मनी' को मंजूरी नहीं दे सकता है। ब्लड मनी का मतलब होता है आर्थिक मुआवजा, जो दोषी की ओर से पीड़ित परिवार को दिया जाता है, जिसके बदले में अपराधी की सजा माफ कर दी जाती है।
दरअसल, साल 2023 में याचिकाकर्ता (आरोपी) ने अपनी गाड़ी से एक ई-रिक्शा को टक्कर मार दी थी, जिसमें सवार एक 5 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। इस मामले में आरोपी मृतक के परिजनों से समझौता कर लिया, जिन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाकर एफआईआर रद्द करने की मांग की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
क्या बोला कोर्ट?
हाईकोर्ट के जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि मृतक बच्चे ने चोटें और दर्द को झेला, जिसके बाद उसकी जान चली गई। उस मृत बच्चे को किसी भी तरह से मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मृत बच्चे के कानून प्रतिनिधियों को कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है, जिससे वे पैसे के बदले में बच्चे की जान का सौदा कर सकें।
वहीं, आरोपी विपिन गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उसने मृतक के कानूनी प्रतिनिधियों के साथ समझौता कर लिया था, जिसके तहत उसे 1 लाख रुपये का भुगतान करना है। इसी के आधार पर आरोपी ने साल 2023 में पहाड़गंज थाने में दर्ज एफआईआर को दर्ज करने की मांग की।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कठपालिया ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस तरह के समझौते को मंजूरी देने के बाद एफआईआर को रद्द करना 'ब्लड मनी' को पवित्र करने के समान होगा। उन्होंने कहा, 'ब्लड मनी को हमारी कानूनी प्रणाली द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता विपिन गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने लापरवाही से कार चलाते हुए ई-रिक्शा को टक्कर मारी थी, जिसकी वजह से ई-रिक्शा पलट गया। इस हादसे में एक 5 साल का बच्चा उस ई-रिक्शा के नीचे आकर दब गया। उसे आरएमएल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इस मामले में आरोपी गुप्ता के खिलाफ पहाड़गंज थाने में मामला दर्ज किया गया।
वहीं, आरोपी गुप्ता का दावा है कि ई-रिक्शा चालक नशे में था, जबकि मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने इसका खंडन किया। जांच अधिकारी ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि ई-रिक्शा चालक शराब के नशे में नहीं था।
