Delhi High Court: सरकार और MCD से सवाल, भिखारी, बेसहारा बच्चों के लिए कर रही सरकार?

शिक्षा के अधिकार पर दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग और दिल्ली नगर निगम से जानकारी मांगी है कि वे वे 14 साल की उम्र तक के उन बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को शिक्षा मिलना उनका अधिकार है। ऐसे में अगर वो बच्चे शिक्षा के लिए खर्च नहीं उठा सकते, तो सरकार द्वारा उन्हें मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए।
MCD, सरकार को दिए निर्देश
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों, निराश्रित या प्रवासी लोगों के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की कमी पर कोर्ट अपनी आंखें बंद करके नहीं रख सकती। इसके बाद कोर्ट ने शिक्षा विभाग और दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया कि वे बताएं कि इन बच्चों को अनिवार्य शिक्षा कैसे दी जा रही है? साथ ही ये भी बताया जाए कि इसमें बेहतरी योजना के लिए भविष्य में क्या योजना है?
जनहित याचिका के याचिकाकर्ता और पक्षकार
अदालत ने कहा कि ये राज्य का कर्तव्य है कि वो संविधान और विभिन्न अन्य कानूनों के तहत बच्चों को मुफ्त शिक्षा दें। बता दें कि जस्टिस फॉर ऑल की इस जनहित याचिका में दिल्ली सरकार और एमसीडी के दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी डीसीपीसीआर भी पक्षकार हैं। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 21ए रो शामिल करने के बाद शिक्षा हासिल करने देश के हर बच्चे का मौलिक अधिकार है।
हर पृष्ठभूमि के बच्चे का मौलिक अधिकार
बेंच ने कहा कि संसद और दिल्ली प्राथमिक शिक्षा अधिनियम की तरफ से कई कानून बनाए गए हैं, जिसका इस्तेमाल दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों के जरिए ये सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली की हर पृष्ठभूमि के हर बच्चे को शिक्षा मिले। अगर वो पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते, तो उन्हें मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए।
