Delhi High Court: सैन्य सेवा में बीमारी होने पर जिंदगी भर मिलेगी दिव्यांगता पेंशन, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Delhi High Court Decision on Air Force Officer
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एयर फोर्स अधिकारी के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने सैन्य सेवा के दौरान होने वाली बीमारी सैन्य सेवा का परिणाम मानते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सेवा के दौरान ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियां हो जाती हैं, तो दिव्यांगता की श्रेणी में आती हैं।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ग्रुप कैप्टन को नौकरी के दौरान हुई हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज टाइप-II को दिव्यांगता की श्रेणी माना है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर सैन्य सेवा देते हुए किसी को इस तरह की बीमारी हो जाती है, तो वो ताउम्र दिव्यांगता पेंशन का हकदार है।

जस्टिस श्री हरिशंकर और सज्टिस अजय दिग्पॉल की बेंच ने कहा कि सशस्त्र बलों में भर्ती के समय उम्मीदवारों की शारीरिक व मानसिक स्थिति की जांच होती है। उस दौरान अगर कोई पूरी तरह से स्वस्थ रहा है, तो बाद में खराब हुए स्वास्थ्य को सैन्य सेवा का परिणाम माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सैन्य सेवा के दौरान तनाव और दबाव सेवा का अभिन्न हिस्सा हैं। हालांकि इससे होने वाली बीमारियां दिव्यांगता की श्रेणी में आती हैं।

इस तरह दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और वायुसेना की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को दिव्यांगता मानने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

जानकारी के अनुसार, ग्रुप कैप्टन गिरीश कुमार जौहरी ने 31 सालों तक वायुसेना में अपनी सेवा दी। उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) में याचिका दायर कर दिव्यांगता पेंशन की मांग की थी। AFT ने उनके पक्ष में फैसला दिया लेकिन केंद्र सरकार और वायुसेना ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस चुनौती को खारिज कर दिया।

अदालत ने माना कि सशस्त्र बलों में सेवाएं तनावपूर्ण होती हैं। इसके कारण ये बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए अधिकारी को दिव्यांगता पेंशन मिलनी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वो वायुसेना के दिव्यांग अधिकारी को दिव्यांगता पेंशन दें। ये दिव्यांगता पेंशन 1996 यानी जब उसे हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी हुई, तब से जीवनकाल तक मिलनी चाहिए। ये दिव्यांगता पेंशन वेतन के 50 फीसदी हिस्से के रूप में दी जाए।

इसके अलावा 1996 से अब तक की पूरी धनराशि पर 6 फीसदी वार्षिक ब्याज भी दिया जाने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने तीन महीने के अंदर पेंशन और बकाया राशि चुकाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि ये पेंशन अधिकारी की मूल रिटायरमेंट पेंशन से अलग होगी।

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