HC Alimony Ruling: 'भले ही मां कमाती हो, लेकिन 2 बच्चों का खर्च पिता ही उठाएगा', हाई कोर्ट का फैसला, जानें पूरा मामला

Delhi High Court big decision regarding bearing the expenses of the child
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बच्चे का खर्च उठाने को लेकर दिल्ली HC का बड़ा फैसला

Delhi High Court on Alimony: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चे के देखभाल का खर्च उठाने की पूरी जिम्मेदारी पिता पर होगी, भले ही मां नौकरी करती हो। जानें क्या है पूरा मामला...

Delhi High Court on Divorce Child Care: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि भले ही मां कमाती हो, लेकिन बच्चे की देखभाल का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी उसके पिता पर ही होगी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में एक तलाकशुदा व्यक्ति ने याचिका लगाई थी। उसकी मांग थी कि उसकी पत्नी हर महीने 75-80 हजार रुपये कमाती है। ऐसे में वह 2 बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी का खर्च दोनों के बीच में 50-50 फीसदी बांटना चाहता है। हालांकि हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

इस मामले पर 13 जून, 2025 को फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि भले ही पूर्व पत्नी नौकरी करती हो और हर महीने 75 से 80 हजार रुपए कमाती हो, लेकिन 2 बच्चों के भरण-पोषण (देखभाल) की पूरी वित्तीय (Financial) जिम्मेदारी पिता पर ही होनी चाहिए, जो लगभग 1.75 लाख रुपए प्रति महीने कमाता है।

बच्चे का भविष्य ज्यादा जरूरी
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे के भरण-पोषण में सभी बुनियादी जरूरतें शामिल होनी चाहिए। साथ ही इसमें एजेकुशन, को-करिकुलर एक्टिविटीज और बच्चे की गरिमा (Dignity) बनाए रखना भी शामिल होना चाहिए। अदालत ने कहा कि बच्चे की देखभाल करना मुख्य रूप से माता-पिता का कर्तव्य है, खासकर अगर वह माता-पिता आर्थिक रूप से मजबूत हो।

'मां निभाती है दोहरी भूमिका'
कोर्ट ने कहा कि मां दोहरी भूमिका निभाती है। वह दफ्तर में जाकर जॉब करती है, इसके बाद घर आने पर बच्चे की जिम्मेदारी भी संभालती है। ऐसे में उसके योगदान को वित्तीय दायित्व के रूप में नहीं आंका जा सकता है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिल्ली के व्यक्ति ने स्टेनोग्राफर के पद पर काम कर रही एक महिला से शादी की। इसके बाद कुछ सालों में उनके 2 बच्चे हुए। बाद में किसी विवाद के चलते दोनों का तलाक हो गया, जिसके बाद पत्नी ने निचली अदालत में याचिका लगाकर भरण-पोषण का खर्च उठाने की मांग की। हालांकि निचली कोर्ट ने पत्नी को वित्तीय खर्च देने का आदेश जारी करने से मना कर दिया, लेकिन बच्चे की देखभाल के लिए हर महीने 50 हजार रुपए देने का आदेश दिया।

इस मामले को लेकर व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके बच्चे की देखभाल के खर्च को पति-पत्नी के बीच 50-50 फीसदी बांटने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

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