Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से जताई नाराजगी, स्कूलों को लेकर दिए ये आदेश

Delhi High Court angry on Government for Tin shed Schools
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टिन शेड में चल रहे स्कूल, दिल्ली हाईकोर्ट नाराज।

Delhi High Court: दिल्ली के कई स्कूल अभी भी टिन शेड में चलाए जा रहे हैं। इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई। साथ ही ऐसे स्कूलों के बारे में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि ये साल 2025 है और अब भी दिल्ली के कई स्कूल टिन शेड में चलाए जा रहे हैं, जो गलत है। जस्टिस तुषार राव गेडेला ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा कि आप प्राइवेट स्कूलों से कॉम्पटीशन कैसे कर सकते हैं, जब आप 2025 में भी टिन शेड में स्कूल चला रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट में सोशल जुरिस्ट नामक नागरिक अधिकार एनजीओ की तरफ से एक याचिका दायर की गई, जिसमें बताया गया कि दिल्ली के 3 सरकारी स्कूलों में आज भी 14 बच्चे टिन शेड में बनी अस्थाई कक्षाओं में पढ़ाई करते हैं।

याचिका में बताया गया कि लगभग 14 विद्यार्थी टिन शेड वाले स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। इनमें गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल, गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल, सर्वोदय कन्या विद्यालय, कमला मार्केट, जीनत महल और अशोक नगर शामिल हैं। ये क्लासेस पढ़ाई के लिए ठीक नहीं हैं। यहां न तो वेंटिलेशन है, न ही इंसुलेशन, तापमान नियंत्रण की सुविधा भी नहीं है। भीषण गर्मी के दौरान जब लोग अपने घरों में बैठ नहीं पाते, ऐसे में ये छात्र यहां पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा याचिका में ये भी बताया गया कि एक स्कूल का अस्थाई ढांचा रामलीला मैदान के पास है। इस इलाके में रोजाना काफी भीड़ रहती है। ऐसे में यहां पढ़ाई करना असुरक्षित है।

कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम 2025 में हैं और आज भी बच्चे टिन शेड वाले स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। दिल्ली सरकार अभी भी टिन शेड वाले स्कूल चला रही है, जहां पर न तो दीवारें हैं और न ही डेस्क, न ब्लैकबोर्ड। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा, पढ़ाई और उनका भविष्य सब दांव पर है। ऐसी स्थिति बेहद शर्मनाक है।

बेंच ने कहा कि जब आपके स्कूलों की ये हालत है, तो आप निजी स्कूलों से मुकाबला कैसे कर पाएंगे? इस दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल जुलाई में शिक्षा विभाग को आदेश दिया था कि तय सीमा के अंदर स्कूलों में डेस्क, किताबें और वर्दी समेत दूसरी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए। इसके बावजूद आदेश पर ध्यान नहीं दिया गया और हालात जैसे के तैसे ही हैं।

वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्यक्ष और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशक को इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की गई है।

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