Delhi High Court: महिला ने बच्चे से 'छुटकारा' पाने की लगाई गुहार, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भावस्था को समाप्त करने की दी मंजूरी
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला जब गर्भवती हुई तो उसका पार्टनर मारपीट करने लगा। दबाव बनाने लगा कि गर्भपात करा लो। महिला ने गर्भपात करा लिया, लेकिन जब दूसरी बार गर्भवती हुई तो फिर से उसका पार्टनर मारपीट कर गर्भपात करने के लिए दबाव बनाने लगा। जब इनकार किया तो वो भाग गया। इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ पुलिस केस दर्ज करा दिया। लेकिन मुश्किल यह थी कि बच्चे को रखे या गर्भावस्था को समाप्त कर दे।
चूंकि गर्भावस्था को ज्यादा समय हो गया था, लिहाजा उसे दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। दिल्ली हाईकोर्ट ने अब इस पर फैसला देते हुए महिला को 22 सप्ताह की वैधानिक सीमा से परे गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला को गर्भावस्था के लिए मजबूर किया जाता है, तो न केवल उसकी पीड़ा बढ़ेगी बल्कि यौन शोषण के भावनात्मक और शारीरिक जख्मों से उबरने में भी परेशानी आएगी। इसके अलावा पीड़िता को सामाजिक कलंक का भी सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने पीड़िता को गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दे दी।
यह है मामला
पीड़िता दो साल के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रही। 2024 के अंत में गर्भवती हुई, लेकिन पार्टनर के दबाव के चलते गर्भपात कराना पड़ा। इसके बाद जून 2025 में फिर गर्भवती हुई तो पार्टनर फिर से गर्भपात के लिए दबाव बनाने लगा। जब महिला ने इनकार किया तो15 मई को मारपीट की और बाद में उसे छोड़ दिया। पीड़िता ने उसके खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराया था। साथ ही, याचिका भी लगाई जिसमें गर्भावस्था समाप्त करने की गुहार लगाई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से महिला की स्थिति को लेकर सलाह ली गई। जांच के बाद एम्स ने महिला को गर्भपात के लिए स्वस्थ बताया। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को गर्भावस्था को समाप्त करने की मंजूरी दे दी।
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