Fees Regulation Act: दिल्ली के अभिभावकों के लिए गुड न्यूज, फीस रेगुलेशन एक्ट लागू
दिल्ली में स्कूल शिक्षा अधिनियम 2025 लागू।
Delhi Fees Regulation Act: राजधानी दिल्ली में अब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी। दिल्ली सरकार ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 लागू कर दिया है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सोमवार को इस कानून को मंजूरी दी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी घोषणा की। दिल्ली सरकार ने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून शिक्षा के व्यावसायीकरण पर लगाम लगाएगा।
इसके साथ ही स्कूलों की फीस तय करने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष बनाएगा। इस कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अभिभावकों को वीटो अधिकार दिया गया है। इस नए कानून को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह एक्ट दिल्ली के लाखों पैरेंट्स की जीत है। सालों से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से फीस बढ़ोतरी से परेशान अभिभावकों को अब राहत मिलेगी।
8 अगस्त को विधानसभा में हुआ था पास
दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी से फीस बढ़ाने को लेकर लंबे समय से अभिभावक परेशान थे। अब इस कानून में पहली बार सभी प्राइवेट स्कूलों को शामिल किया गया है। इसके कानून के तहत अभिभावकों को कई अधिकार दिए गए हैं। हाल ही में दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में 8 अगस्त को यह विधेयक पास किया गया था।
मनमानी से फीस बढ़ोतरी पर लगाम
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि इस कानून में अभिभावकों की संवेदनाओं को प्राथमिकता दी गई है। प्राइवेट स्कूलों की फीस तय करने की प्रक्रिया में अभिभावकों की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि अभिभावक, शिक्षक, स्कूल प्रबंधक और सरकार के प्रतिनिधि स्कूल स्तरीय फीस नियंत्रित समिति में शामिल होंगे। फीस बढ़ाने से पहले प्रस्ताव लाना होगा, जिसके पास होने के बाद ही फीस बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा फीस की वजह से किसी भी स्कूल में छात्रों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। एक बार तय की गई फीस अगले 3 सालों के लिए बनी रहेगी। उसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। इससे अभिभावकों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।
नए कानून के तहत क्या हैं नियम?
- कोई भी स्कूल तय की गई फीस से ज्यादा राशि नहीं ले सकेगा।
- हर प्राइवेट स्कूल में एक फीस कमेटी होगी, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक, महिलाएं और वंचित वर्ग के लोग शामिल होंगे। इससे फीस तय करने के लिए सभी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित होगी।
- जिले में शिकायत निवारण समिति होगी, जो फीस से जुड़ी शिकायतों और विवादों को शिक्षा अधिकारियों की अध्यक्षता में सुलझाएगी।
- कमेटी द्वारा तय की गई फीस का ब्योरा नोटिस बोर्ड, वेबसाइट और हिंदी, अंग्रेजी और स्कूल की भाषा में साफ तौर पर प्रदर्शित किया जाएगा।
- जिला स्तर के फैसलों पर अपील की जांच उच्चस्तरीय समिति करेगी, जिससे किसी तरह का कोई पक्षपात न हो सके।
- ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
- एक बार तय हुई फीस अगले तीन सालों तक उतनी ही रहेगी।
जुर्माने और सजा का प्रावधान
अगर कोई स्कूल तय की गई फीस से ज्यादा राशि अवैध तरीके से वसूलता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। पहली बार कानून तोड़ने पर स्कूल पर 1 लाख से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि दूसरी बार शिकायत मिलने पर 2 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा जुर्माना समय से जमा न करने पर 20 दिनों बाद दोगुना हो जाएगा। फिर 40 दिनों बाद तीन गुना हो जाएगा और आगे इसी तरह से बढ़ता रहेगा। इतना ही नहीं सरकार स्कूल को मान्यता भी रद्द कर सकती है।
