Delhi Court: दिल्ली के बुजुर्ग दंपति के आगे बिल्डर ने टेके घुटने, 18 साल बाद मिला न्याय

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दिल्ली के 80 वर्षीय बुजुर्ग को 18 साल बाद मिला न्याय

दिल्ली निवासी 80 वर्षीय दंपति ने 2007 में फ्लैट खरीदा था। लेकिन, बिल्डर फ्लैट देने से इनकार करता रहा। अब बिल्डर ने बुजुर्ग के जज्बे के आगे घुटने टेक दिए हैं।

जिंदगी भर मेहनत करके पैसा कमाकर ऐसा घर बनाना चाहते हैं, जहां उनका बुढ़ापा अच्छे से गुजर सके। हालांकि दिल्ली एनसीआर में अपने घर का सपना पूरा होना आसान नहीं है। अगर पूरी जिंदगी की बचत भी लगा दें तो पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें जिंदा मिलते फ्लैट का पोजेशन मिल ही जाए। लेकिन, दिल्ली के एक बुजुर्ग ने हिम्मत नहीं हारी और 18 साल बाद आखिरकार बिल्डर ने उनके समक्ष घुटने टेक दिए।

न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के रहने वाले दंपति ने 2007 में गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में 3बीएचके फ्लैट खरीदा था। इसके लिए उन्होंने अपनी जिंदगी भर की बचत यानी 37 लाख रुपये लगा दिए। इस दंपति को उम्मीद थी कि बिल्डर समय से उन्हें फ्लैट की चाबियां सौंप देगा।

15 साल बीत जाने के बाद भी बिल्डर ने न तो इस परियोजना को पूरी तरह से विकसित किया और न ही फ्लैट का कब्जा दिया। यह दंपति लगातार बिल्डर के चक्कर लगाते रहे, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।

यहां तक कि दंपति ने 2023 में बिल्डर के खिलाफ दिल्ली पुलिस को शिकायत देनी चाही तो एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया गया। थककर इस दंपति ने फिडेलिगल एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के माध्यम से दिल्ली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अपनी ही दलीलों में फंसने लगा बिल्डर

दंपति का पक्ष रखते हुए वकील सुमित गहलोत ने अदालत के समक्ष बिल्डर के खिलाफ तर्क रखा कि बिल्डर कभी भी दंपति को फ्लैट नहीं देना चाहता था। बिल्डर ने 2022 में 34 लाख रुपये में बायबैक समझौते कराने के लिए भी चाल चली। बाजार में फ्लैट की कीमत अधिक थी, जबकि बिल्डर दंपति की ओर से निवेश राशि 37 लाख रुपये से कम थी। बिल्डर दंपति को 34 लाख रुपये की बायबैक राशि ऑफर कर रहा था।

अदालत को यह भी बताया गया कि बिल्डर ने बायबैक के तहत छोटा भुगतान कर दिया, लेकिन बाकी राशि का भुगतान नहीं किया। जब दंपति ने बाकी राशि मांगी तो उन्हें धमकाया जाने लगा। वकील गहलोत ने अदालत को बताया कि यह दोहरी धोखाधड़ी है। इस पर अदालत ने पुलिस से मामले की जांच के आदेश दिए।

अब अधिवक्ता गहलोत ने दिल्ली न्यायालय को अवगत कराया है कि दंपति और बिल्डर के बीच आपस में समझौता हो गया है। दंपति इस समझौते से संतुष्ट है और बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपनी याचिका वापस ले रहे हैं। यह मामला दर्शाता है कि उम्र चाहे कुछ भी हो, अगर आप सही हैं, तो बड़े से बड़ा रसूखदार भी अवश्य पराजित होगा। चलते चलते बता दें कि इस बुजुर्ग की उम्र 80 साल और उनकी पत्नी की उम्र 73 साल बताई गई है।

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