Delhi-Dehradun Expressway पर सफर जल्द शुरू: 2.5 घंटे में एशिया के सबसे बड़े Wildlife Corridor से पहुंच सकेंगे उत्तराखंड

2.5 घंटे में एशिया के सबसे बड़े Wildlife Corridor से पहुंच सकेंगे उत्तराखंड
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Delhi-Dehradun Expressway Update: दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे को जुलाई में शुरू किया जा सकता है। इसके बाद एशिया के सबसे बड़े वन्यजीव गलियारे से होते हुए देहरादून पहुंच सकते हैं।

Delhi-Dehradun Expressway Update: दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस एक्सप्रेस वे को जुलाई में शुरू किया जा सकता है। इस एक्सप्रेस वे के शुरू होने से दिल्ली और देहरादून के बीच यात्रा करने का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा। ये एक्सप्रेस वे से सफर करने से साढ़े 6 घंटे का सफर मात्र 2.5 घंटे का रह जाएगा।

बता दें कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को आधिकारिक तौर पर नेशनल हाईवे 709 बी के रूप में जाना जाता है। ये प्रोजेक्ट दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के बागपत, शामली और सहारनपुर से होते हुए देहरादून तक पहुंचता है। इस रास्ते पर लगभग 210 किलोमीटर की दूरी तय होगी। इसे बनाने के लिए 12000 करोड़ रुपए की लागत लगी है।

दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे की विशेषताएं

  • इस एक्सप्रेस वे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन चलाए जा सकें।
  • इस पूरे एक्सप्रेसवे पर 113 अंडरपास बनाए गए हैं, जो यातायात को सुचारू रूप से चलाने में मददगार साबित होंगे।
  • इसके अलावा 5 रेलवे ओवरब्रिज बनाए गए हैं।
  • 76 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड बनाई गई है।
  • 29 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाया गया है।
  • सार्वजनिक परिवहन सुविधा के लिए 62 बस शेल्टर बनाए गए हैं।
  • 16 एंट्री और एग्जिट पॉइंट बनाए गए हैं।
  • डाट काली देहरादून में 340 मीटर लंबी, तीन लेन वाली सुरंग बनाई गई है।

राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में बना एशिया का सबसे लंबा कॉरिडोर

बता दें कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का अंतिम भाग राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरता है। ये कॉरिडोर एशिया का सबसे बड़ा 12 किलोमीटर लंबा वन्यजीव गलियारा है। जंगल के जानवरों तक वाहनों का शोर न पहुंचे, इसके लिए इस कॉरिडोर को साउंडप्रूफ बनाया जाएगा, जो देश का सबसे पहला साउंडप्रूफ कॉरिडोर होगा।

एलिवेटेड कॉरिडोर के साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर वन्यजीवों के लिए 6 पशु अंडरपास, 2 हाथी अंडरपास, 2 बड़े पुल और 13 छोटे पुल बनाए गए हैं। जानवरों की सुरक्षा और उनकी आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए ये प्रावधान किए गए हैं।

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