Delhi Crime Branch: दवाओं के रैपर में मौत बेच रहे थे आरोपी, चूरन और चॉक से हो रहीं तैयार

दिल्ली में फर्जी दवाइयां बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़।
Delhi Crime Branch: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने देश के अलग-अलग कोनों में नकली दवाओं का धंधा करने वाले पूरे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में क्राइम ब्रांच ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही पुलिस ने दो फैक्ट्रियां, 150 किलोग्राम बनकी टैबलेट और 20 किलोग्राम कैप्सूल बरामद किए हैं। ये सारी दवाइयां ब्रैंडेड कंपनियों के नाम से बेची जा रही थीं।
इस बारे में जानकारी देते हुए क्राइम ब्रांस के डीसीपी हर्ष इंदौरा ने बताया कि एंटी गैंग स्क्वाड में तैनात हेड कॉन्स्टेबल जितेंदर को जानकारी मिली थी कि नकली दवा की खेप दिल्ली आ रही है। इसके बाद एसीपी पवन कुमार की निगरानी में विशेष टीम बनाई गई। चेकिंग के दौरान सिविल लाइंस के शामनाथ मार्ग पर यूपी नंबर की कार को रोका गया। इस कार से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के दो भाई मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को पकड़ा गया। इनके पास से दवा की खेप बरामद की गई। दवाओं की लैब में टेस्टिंग करने पर पता चला कि ये सभी दवाएं नकली हैं। इन्हें बनाने में चूना और चॉक का इस्तेमाल किया जा रहा था।
पता चला कि नामी कंपनियों जॉनसन एंड जॉनसन, जीएसके और अल्केम की नकली दवाइयां बनाकर बाजारों में बेची जा रही थीं। दवाओं की लिस्ट में पैरासिटामोल, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है, वो बरामद की गई। साथ ही अल्ट्रासेट, ऑगमेंटिन, पैटॉप, डीएसआर, केनाकोर्ट इंजेक्शन समेत कई दवाएं बरामद की गई हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये दवा की खेप उत्तर प्रदेश के महारजगंज के निवासी अरुण गोरखपुर के सुमित और हरियाणा के करनाल के कोमल समेत कई सप्लायर उन्हें देते थे। वहीं उन्होंने इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंट राजेश मिश्रा को बताया।
राजेश मिश्रा ने हरियाणा के जींद में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री खोली। वो नेहा और पंकज शर्मा से ब्रैंड से मिलते जुलते पैकेजिंग बॉक्स खरीदते थे। ब्लिस्टर पैकिंग में इस्तेमाल की जाने वाली पन्नी और डाई गोविंद मिश्रा के माध्यम से हिमाचल के बद्दी से खरीदता था। इसके बाद नकली दवाओं की खेप रेलवे के जरिए उत्तरप्रदेश के गोरखपुर भेजी जाती थी। यहां ऑपरेटरों के जरिए दवा को ग्रासरूट देकर आलम और सलीम जैसे ग्राउंड लेवल के डीलरों तक पहुंचाया जाता था। इनके माध्यम से दवा की खेप बाजारों तक और फिर लोगों तक पहुंच रही थी।
जानकारी के अनुसार, नकली दवा बेचने के लिए शुरुआती संपर्क अक्सर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए किया जाता था। किसी को शक न हो इसके लिए नियमित कुरियर और प्राइवेट गाड़ियों से माल सप्लाई किया जाता था। आरोपी मोबाइल वॉलेट और बारकोड के जरिए भुगतान लेते थे। जांच के दौरान हवाला के जरिए भी मोटी रकम की आवाजाही का खुलासा हुआ है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान गोरखपुर निवासी 52 वर्षीय राजेश मिश्रा के रूप में हुई है। वो इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। यूपी के देवरिया निवासी 25 वर्षीय प्रेम शंकर प्रजापति, जो दवा को फैक्ट्री से सप्लायर तक पहुंचाता था। तीसरे आरोपी की पहचान 50 वर्षीय परमानंद के रूप में हुई है, जो जींद में लक्ष्मी मां फार्मा नाम की कंपनी का मालिक है। 29 वर्षीय मोहम्मद जुबैर, जो सोशल मीडिया के जरिए चैट, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन और नकली दवा सप्लायर्स तक पहुंचाने का काम करता था। वहीं 5वें और छठे आरोपी की पहचान 42 वर्षीय सलीम और 35 वर्षीय आलम के रूप में हुई है। ये लोग दिल्ली-एनसीआर में नकली दवा सप्लाई करते थे।
