Delhi Riots 2020: मंत्री कपिल मिश्रा और पुलिस की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित, 10 नवंबर को होगी सुनवाई

दिल्ली दंगे 2020 मामले में भाजपा मंत्री कपिल मिश्रा और पुलिस याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
Delhi Riots 2020: दिल्ली के कानून और न्याय मंत्री और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बैद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर को हो सकती है। बता दें कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। इस फैसले में पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे की कथित बड़ी साजिश की आगे की जांच के लिए आदेश दिया गया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली पुलिस और मंत्री कपिल मिश्रा ने याचिका दायर की थी।
जानकारी के अनुसार, मजिस्ट्रेट ने मोहम्मद इलियास की शिकायत के आधार पर आगे की जांच का निर्देश जारी किया था। इसमें साफ तौर पर कहा गया था कि इन दंगों में दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा शामिल हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि कपिल मिश्रा की पहले ही जांच हो चुकी है। उन्हें दोषी ठहराने के लिए कोई भी सबूत नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा को फंसाने की एक सोची-समझी साजिश रची गई थी।
अमित प्रसाद ने वॉट्सऐप ग्रुप चैट और #ArrestKapilMishra जैसे सोशल मीडिया कैंपेन ट्रेंडिंग का हवाला देते हुए इसे एक नैरेटिव बनाने की कोशिश का हिस्सा बताया।। इसके जवाब में दिल्ली पुलिस ने लिखित जवाब में चार्जशीट का जिक्र किया। दिल्ली पुलिस ने DPSG जैसे WhatsApp ग्रुप्स के अंदर हुई बातचीत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन सबूतों से साफ पता चलता है कि कुछ लोग एक्टिव रूप से भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एक नैरेटिव फैला रहे थे। दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान 751 एफआईआर दर्ज की गई थीं। इनमें से किसी भी एफआईआर में कपिल मिश्रा का नाम नहीं है।
वहीं पिछली सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट की तरफ से दिल्ली पुलिस को निर्देश दिए गए थे कि वे सभी आरोपियों की डिजिटल फॉर्मेट में चार्जशीट दाखिल करें। वहीं इस मामले में मंत्री कपिल मिश्रा की लीगल टीम ने तर्क दिया कि नई एफआईआर दर्ज किए बिना आगे कोई जांच शुरू नहीं की जा सकती। वहीं पुलिस ने मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये मामला पहले से ही स्पेशल कोर्ट के दायरे में है।
बता दें कि फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (CAA & NRC) को लेकर सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 लोग घायल हो गए थे। इस दौरान लोगों के घर और दुकानें जलाई गईं। साथ ही बहुत से लोगों ने इन दंगों का फायदा उठाते हुए चोरी की घटनाओं को भी अंजाम दिया।
