Delhi Court: हत्या के मामले में जेल में बंद था आरोपी, मौलिक अधिकारों के तहत मिली जमानत

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Murder Case: राजधानी दिल्ली के द्वारका जिला की अदालत ने हत्या के मामले में पिछले पांच साल से जेल में बंद आरोपी को जमानत दे दी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीपक ने कहा कि ट्रायल में जरूरत से ज्यादा देरी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन करती है। यह पूरा मामला नजफगढ़ थाना का बताया जा रहा है। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 14 फरवरी 2020 की रात करीब तीन बजे आरोपी संदीप और उसके साथियों ने मिलकर जग्गू नाम के युवक की गला काटकर हत्या की थी। साथ ही आरोप है कि संदीप ने जग्गू के सिर पर लोहे के जैक और बांस के डंडों से भी कई वार किए थे।
38 में से मात्र 6 की हुई गवाही
आरोपी संदीप के अधिवक्त्ता रवि दराल और अदिति सिंह ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है। यह पूरा मामला परिस्थिति के आधार पर घटित हुआ था। वहीं प्रमुख गवाह जोध सिंह की मृत्यु भी हो चुकी है। इसके अलावा दूसरा गवाह जोगेंद्र अपने बयान से मुकर गया है। अरोपी के वकीलों ने अदालत में कहा कि इस केस में 38 गवाह थे। जिनमें से अब तक मात्र 6 की ही गवाही हो सकी है। वहीं सह आरोपी को मार्च 2025 में ही जमानत मिल चुकी है। इसके अलावा जांच भी पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र भी अदालत में दाखिल हो चुका है। इस वजह से आरोपी को जेल में रखने का कोई मतलब नहीं है। वहीं अभियोजक पक्ष ने अदालत में कहा कि आरोपी पर हत्या जैसा गंभीर आरोप लगा है। इसीलिए उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
ट्रायल में देरी से अधिकारों का हनन
वहीं अदालत का कहना है इस केस में संबंधित गवाह मुकर गए हैं इसीलिए ट्रायल में देरी होगी। जिससे मुकदमे के जल्द पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि लंबे समय तक किसी भी आरोपी को जेल में रखने और धीमी सुनवाई से मौलिक अधिकारों का हनन होता है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि संदीप का आचरण जेल में पिछले एक साल से शान्तिप्रिय रहा है। इसीलिए अदालत सह आरोपी को मिली राहत और परिस्थितियों को देखते हुए संदीप को 30 हजार रुपए के मुचलके और समान जमानत राशि पर सशर्त रिहा करने का आदेश देती है। साथी अदालत ने यह भी कहा कि यदि आरोपी भविष्य में किसी अपराध में लिप्त पाया गया, तो राज्य उसकी जमानत रद्द करने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
