Connaught Place: दिल्ली के Heart 'कनॉट प्लेस' का कैसे पड़ा नाम? आप भी नहीं जानते होंगे इसका राज!

दिल्ली के कनॉट प्लेस के नाम का इतिहास।
Connaught Place Name History: राष्ट्रीय राजधानी में स्थित कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल भी कहा जाता है। यहां पर काफी बड़ा मार्केट है, जहां पर लोग बड़े-बड़े ब्रांड से लेकर स्ट्रीट फूड का मजा लेते हैं। कनॉट प्लेस में रोजाना भारी संख्या में टूरिस्ट घूमने के लिए आते हैं और सुकून के पल बिताकर जाते हैं। अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं, तो कनॉट प्लेस की सैर आपने जरूर की होगी।
ऐसे में क्या कभी आपके मन में सवाल आया कि आखिर इस जगह का नाम 'कनॉट प्लेस' कैसे पड़ा? इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता, लेकिन आज हम आपको इसके पीछे के राज से रूबरू करवाएंगे।
ब्रिटेन से जुड़ा है नाता
अगर आपको ऐसा लगता है कि कनॉट प्लेस का नाम ब्रिटिश शासन से जुड़ा है, तो आप बिल्कुल सही हैं। इस नाम के पीछे की कहानी ब्रिटेन के शाही परिवार से जुड़ी है। इसके पीछे ब्रिटिश राज की शाही कड़ी छिपी हुई है। कनॉट प्लेस का नाम ब्रिटेन के प्रिंस आर्थर के नाम पर रखा गया है। उन्हें 'ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न' भी कहा जाता था।
प्रिंस आर्थर महारानी विक्टोरिया के तीसरे बेटे और किंग जॉर्ज VI के चाचा थे। वे साल 1921 में भारत के कोलकाता में आए थे। उनके आने के सम्मान में ब्रिटिश सरकार ने दिल्ली में बन रहे इस बाजार का नाम उनके पदवी 'ड्यूक ऑफ कनॉट' के नाम पर 'कनॉट प्लेस' रख दिया था।
कितने समय में बना कनॉट प्लेस?
कनॉट प्लेस को बनने में 4 साल का समय लगा था। इसे साल 1929 से 1933 के बीच बनाया गया था। उस जमाने में कनॉट प्लेस हाई स्ट्रीट मार्केट हुआ करती थी। इसे रॉबर्ट टोर रसेल नाम के ब्रिटिश आर्किटेक्ट ने डिजाइन किया था। इसे इंग्लैंड के बाथ में मौजूद रॉयल क्रिसेंट के डिजाइन की तरह ही बनाया जा रहा था। इस इलाके को अंग्रेजों के रहने के लिए पॉश एरिया के तौर पर तैयार किया जा रहा था, जिसका डिजाइन आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने तैयार किया था। आज के समय में उन इलाकों को लुटियंस दिल्ली के नाम से जाना जाता है।
कनॉट प्लेस की जगह पहले क्या था?
बताया जाता है कि दिल्ली में जिस जगह पर कनॉट प्लेस है, वहां पर पुराने जमाने में गांव हुआ करते थे। करीब 100 साल पर इस जगह पर माधोगंज, जयसिंहपुरा और राजा का बाजार नाम के गांव हुआ करते थे। यह इलाका घने कीकर के पेड़ों से भरा जंगल था। इसमें जंगली सूअर और हिरण घूमा करते थे। हालांकि जब नई दिल्ली का निर्माण शुरू हुआ, तो इसे ब्रिटिश स्टाइल में डेवलप किया गया।
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