Cloud Seeding: दिल्ली में क्लाउड सीडिंग क्यों हुई फेल? IIT कानपुर के डायरेक्टर से समझिए पूरी बात

Delhi Cloud Seeding: दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने की योजना बनाई गई थी। मंगलवार को आईआईटी कानपुर की मदद से दिल्ली में 2 क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन कराए गए। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली के कई इलाकों में बादलों में केमिकल का छिड़काव किया गया, लेकिन इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला।
दिल्ली के अंदर कोई बारिश दर्ज नहीं की गई। ऐसे में विपक्ष दिल्ली सरकार को घेरने में लगा हुआ है। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मणीन्द्र अग्रवाल ने दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के बाद बारिश न होने की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि बादलों में ज्यादा नमी नहीं थी। नमी की कम मात्रा रहने पर बारिश की संभावना कम रहती है। इसलिए क्लाउड सीडिंग के बाद सफलता नहीं मिली।
प्रदूषण कम करने में कामयाबी?
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर ने बताया कि क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान बादलों में सिर्फ 15 फीसदी के आसपास नमी थी। इसकी वजह से क्लाउड सीडिंग सफल नहीं हो पाई। मणीन्द्र अग्रवाल का कहना है कि भले ही इस प्रोजेक्ट में सफलता न मिली हो, लेकिन इससे बहुत उपयोगी जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कई इलाकों में नमी के स्तर आदि को मॉनिटर करने के लिए स्टेशन बनाए गए हैं।
डायरेक्टर अग्रवाल ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, पीएम 2.5 और पीएम 10 की सांद्रता में 6 से 10 फीसदी की कमी आई है। इससे पता चलता है कि बादलों में नमी का स्तर बहुत कम या कम होने पर भी सीडिंग कराने पर इसका कुछ असर जरूर होता है। यह असर देखा नहीं जा सकता है, लेकिन होता जरूर है।
आज भी होंगे 2 ट्रायल
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मणीन्द्रअग्रवाल ने बताया कि इससे कुछ जानकारियां मिली हैं, जो हमारे लिए बेहद उपयोगी हैं। इससे भविष्य के क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट की योजना बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बुधवार को दो और उड़ानें भरने की उम्मीद है। बादलों में नमी की मात्रा में भी थोड़ा सुधार की उम्मीद है। ऐसे में बेहतर परिणाम भी मिल सकते हैं।
#WATCH | Kanpur, Uttar Pradesh: On cloud seeding in Delhi, Manindra Agrawal, Director of IIT Kanpur, says, "We did not get a lot of cloud moisture. It was only around 15%. Given the low moisture content, the possibility of rain is very small. So we did not achieve success from… pic.twitter.com/f9bErKASND
— ANI (@ANI) October 29, 2025
कृत्रिम बारिश स्थायी समाधान नहीं?
क्लाउड सीडिंग तकनीक से कृत्रिम बारिश कराना प्रदूषण रोकने का स्थायी समाधान नहीं है। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर ने कहा कि यह एसओएस उपाय है। इसका मतलब है कि जब प्रदूषण बहुत ज्यादा हो, तो इसे आजमाया जा सकता है। इसे प्रदूषण कम करने के कई उपायों में से एक माना जा सकता है। हालांकि यह समाधान लॉन्ग टर्म के लिए नहीं है। प्रदूषण का स्थायी समाधान उसे रोकना ही है।
इन इलाकों में हुई क्लाउड सीडिंग?
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आईआईटी कानपुर की एक्सपर्ट टीम ने क्लाउड सीडिंग के 2 ट्रायल किए। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, क्लाउड सीडिंग के लिए कानपुर से सेसना विमान ने उड़ान भरी थी। विमान के जरिए दिल्ली के बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाकों में केमिकल का छिड़काव किया गया।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कृत्रिम बारिश का ट्रायल करीब आधे घंटे चला। इस दौरान आठ फ्लेयर में केमिकल का छिड़काव किया गया। प्रत्येक फ्लेयर में 0.5 किलो था, जो बारिश की क्षमता बढ़ाने के लिए तैयार किए गए केमिकल को बिखेर रहे थे। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के बाद कहा गया कि अगले 4 घंटों के अंदर कभी भी बारिश हो सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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