Chor Minar: कहानी दिल्ली के चोर मीनार की, खौफनाक कहानी के नाम से मशहूर

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चोर मीनार।

Chor Minar: आपने कुतुब मीनार सुना होगा, आपने चार मीनार सुना होगा लेकिन आज हम आपको दिल्ली की एक ऐसी मीनार के बारे में बताएंगे जिसका नाम चोर मीनार है। इस मीनार का जितना अजीब नाम है उतनी ही डरावनी है इसकी कहानी।

Chor Minar: आपने दिल्ली की कुतुब मीनार तो देखी ही होगी लेकिन क्या आपको पता है कि दिल्ली जैसा शहर जहां देश का भाग्य लिखा जाता है। उसी शहर की तंग गलियों और कोहराम से भरे बाजारों के बीच एक चोर मीनार भी है। इसका नाम सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा, आप सोच रहे होंगे कि एक समय में यहां जरूर चोर रहते होंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। इसकी कहानी इसके बिल्कुल विपरीत है। ये मीनार आधुनिकीकरण के चलते भले ही शहर के बीचो-बीच खामोश खड़ी हो, लेकिन इसकी कहानी रोंगटे खड़े करने वाली है। यह मीनार न सिर्फ आपको 13वीं सदी की याद दिलाती है बल्कि इतिहास के एक शासक की क्रूरता और चालाकी का आभास भी कराती है। चलिए आपको बताते हैं इस मीनार की दिलचस्प कहानी क्या है?

किसने कराया इसका निर्माण?

दरअसल, इतिहास के सबसे क्रूर शासकों में एक अलाउद्दीन खिलजी था, जिसने 1296 से 1316 ईसवी के बीच इसको बनवाया था। अलाउद्दीन खिलजी का शासन काल अपराधों और आक्रमणों से भरा है। खिलजी के शासन में चोरी डकैती का बोलबाला हो गया था। इसके अलावा इस समय में मंगोलों ने भी दिल्ली पर कई बार आक्रमण किया। इन सारी समस्याओं से परेशान होकर अलाउद्दीन खिलजी ने इस चोर मीनार का निर्माण करवाया। इसको जिस उद्देश्य से बनवाया गया था, उसी से स्पष्ट होता है कि ये कोई साधारण मीनार नहीं है। इस मीनार में 225 छेद हैं। इन छेदों में चोरों, कैदियों और विद्रोहियों के सिरों को दिखाया जाता था। ऐसा करने के पीछे खिलजी का एकमात्र उद्देश्य सिर्फ ये था कि वो अपराधियों को सजा देकर बाकी लोगों के मन में डर कायम कर सके। उसका मानना था कि ऐसा करने से शहर में कानून व्यवस्था बनी रहेगी। वहीं इतिहासकारों का मानना है कि खिलजी का ये कदम दिल्ली को सुरक्षित रखने में सफल रहा।

कितना डरावना है इसका इतिहास?

चोर मीनार की प्रसिद्धि का मुख्य कारण इसका डरावना इतिहास है। मध्यकाल में सजाएं सार्वजनिक रूप से दी जाती थी और ये मीनार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। बताया जाता है कि इस समय में पकड़े गए चोरों और मंगोल आक्रमणकारियों के सिरों को इसके छेदों पर लगा दिया जाता था। ये मीनार मध्यकालीन युग के मनोविज्ञान को दर्शाती है कि किस प्रकार से डराकर कानून व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। ये मीनार बताती है कि कैसे एक राजा ने अपराध को जड़ से उखाड़ फेंका, चाहें उसका तरीका डरावना क्यों न हो? वहीं ये मीनार खिलजी की रणनीति का भी पार्ट रही।

दिल्ली में कहां है ये मीनार?

यह मीनार दिल्ली के हौज खास इलाके में मौजूद है। इसकी ऊंचाई मात्र 13 मीटर है, जिस वजह से इसे आसानी से नजरंदाज किया जा सकता है। लेकिन वहीं अगर आप हौज खास इलाके की ओर जाएंगे, तो ये आपको दिख जायेगी। यह मीनार ASI के संरक्षण में है। वहीं हौज खास कॉम्प्लेक्स की हरी भरी वादियां इसे और रहस्यमयी बना देती है।

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