Chawri Bazar: एशिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट, कभी सजा करता था शाही दरबार, जानें इतिहास

बेगम समरू की हवेली में लगता है दिल्ली का इलेक्ट्रिकल बाजार
Delhi Electronic market: दिल्ली के चांदनी चौक की तंग गलियों में एक पुरानी हवेली मौजूद है, जहां पर अब एशिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक बाजार लगता है। एक समय पर इस हवेली को बेगम समरू की हवेली के नाम से जाना जाता था। बाद में अंग्रेजों के समय पर इसका नाम बदल कर भागीरथ पैलेस कर दिया गया था। बेगम समरू 18वीं सदी की एक शक्तिशाली महिला थी, जिसे लोग बेगम साहिबा कहकर पुकारते थे। इस बेगम का असली नाम फरजाना था। वह दिल्ली की पुरानी आलीशान हवेली में रहा करती थी। जिस कारण उस हवेली को बेगम समरू हवेली कहा जाता था।
नाचने से लेकर सेनापति तक का सफर

जानकारी के अनुसार, 1753 में दिल्ली में रहने वाले एक साधारण से परिवार में जोआना नोबिलस नाम की लड़की का जन्म हुआ था। वह लड़की बड़ी होकर एक नर्तकी के रूप में काम करने लगी। उसने यूरोपीय सैनिक वाल्टर रेनहार्ड्स नाम के युवक से शादी कर ली। उस युवक का उपनाम समरू था। इसलिए उनका नाम बेगम समरू पड़ गया। कहते हैं बेगम समरू हवेली में दरबार सजाया करती थी। उस दरबार में आस-पास के बड़े-बड़े लोग शामिल हुआ करते थे।। बेगम ने अपने पति की मृत्यु के बाद सेना की कमान संभाली। वह जल्द ही अपनी बुद्धिमता और साहस से वीर योद्धा रानी बन गई। उन्होंने अपनी समझदारी से मुगल दरबार और ब्रिटिश राज में अपना दबदबा कायम बनाए रखा था। उन्होंने मुगल आलम द्वितीय की जान बचाई और सरधना रियासत को ताकतवर केंद्र बनाया।
हवेली की वास्तुकला

इस हवेली में मुगल और यूरोप वास्तुकला के मिश्रण का अनोखा संगम देखने का मिलता है। इस हवेली का निर्माण 1808 में किया गया। ये हवेली मुगल बादशाह अकबर शाह द्वितीय की दी गई जमीन पर बनाया गया है। चार मंजिला बनी ये हवेली ग्रीक स्तंभों, मुगल नक्काशी और रोमन मेहराबों का भव्य मेल है। इसकी दीवारें संगमरमर से बनाई गई हैं। इसके अंदर बने विशाल हॉल और झिलमिलाते झरोखे शाही ठाठ के उदाहरण हैं। कहा जाता है कि बेगम इस हवेली के अंदर भव्य पार्टियों का आयोजन किया करती थीं। उनके मेहमान मुगल बादशाह और ब्रिटिश अफसर होते थे। पार्टियों में शराब के जाम झलकते थे।
मिलता है इलेक्ट्रॉनिक सामान

आज लाल किले के ठीक सामने बसे भागीरथ पैलेस में ग्राहकों की खूब भीड़-भाड़ रहती है। देश की स्वतंत्रता के बाद ये इमारत एक बिजनेस एरिया में बदल गई थी। यहां पर एशिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मार्केट लगती है। इस मार्केट में हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक टूल्स मिल जाते हैं। यहां पर कई ऐसी दुकानें हैं, जिन पर छोटे-बड़े उपकरण से लेकर बड़े-बड़े इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तक की ब्रिकी होती है। यहां पर उपकरण की कीमत अलग-अलग देखने को मिलती है। यदि आपको बार्गेनिंग करना आता है, तो ये सामान काफी सस्ता पड़ जाएगा। यहां का माहौल काफी चहल-पहल भरा होता है।
स्वप्ना लिडल की किताब -चांदनी चौक:' द मुगल सिटी ऑफ ओल्ड दिल्ली' में इस हवेली का ज्रिक किया गया है। इस किताब में लिखा है कि 1857 की क्रांति का स्वतंत्रता संग्राम इस हवेली के लिए तूफान बनकर आया था। इस क्रांति में लूटपाट की गई, जिसका शिकार ये हवेली भी बनी। विद्रोह की आड़ में हवेली को लूट लिया गया और इसके कई हिस्सों को तबाह कर दिया गया। बेगम की मौत के बाद इस हवेली की यादें भी धूमिल होती चली गईं। साल 1922 में इस हवेली को शिव नारायण ने खरीद लिया और साल 1940 में भागीरथ मल ने इसे नया नाम भागीरथ पैलेस दिया। आज इस हवेली में दिल्ली का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मार्केट लगता है।
