Al Falah University: अल फलाह यूनिवर्सिटी पर NAAC का एक्शन, झूठी मान्यता के दावे पर भेजा शोकॉज नोटिस

अल फलाह यूनिवर्सिटी को NAAC ने भेजा शोकॉज नोटिस।
NAAC Notice To Al Falah University: दिल्ली ब्लास्ट मामले में हरियाणा का फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम खूब चर्चा में है। फरीदाबाद में 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' में शामिल ज्यादातर डॉक्टर इसी यूनिवर्सिटी में काम करते थे। दिल्ली में धमाके के दो दिन बाद नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी पर एक्शन लिया है। एनएएसी ने अल फलाह को अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता प्रदर्शित करने के लिए शोकॉज नोटिस जारी किया है।
काउंसिल ने यूनिवर्सिटी के झूठी मान्यता के दावे को गुमराह करने वाला और अपने नियमों के खिलाफ बताया। बता दें कि एनएएसी एक ऑटोनोमस बॉडी है, जो हाई एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स जैसे कॉलेज और विश्वविद्यालय का मूल्यांकन करता है। इसके बाद उन्हें गुणवत्ता के आधार पर मान्यता देता है।
नोटिस में क्या कहा गया?
एनएएसी की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लिखा है कि उसके दो स्कूल अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को एनएएसी की मान्यता प्राप्त है। काउंसिल के अधिकारियों का कहना है कि यह मान्यता अब मान्य नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ 5 साल के लिए होती है।
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी को 23 मार्च 2013 से 22 मार्च 2018 तक एनएएसी द्वारा 'ग्रेड-ए' के साथ चक्र-1 मान्यता प्राप्त है। वहीं, अध्यापक शिक्षा विभाग, अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को 27 मार्च 2011 से 26 मार्च 2016 तक एनएएसी द्वारा 'ग्रेड-ए' के साथ चक्र-1 मान्यता प्राप्त है। एनएएसी के अनुसार, इन दोनों कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो चुकी है।
'जनता को गुमराह किया जा रहा'
नोटिस में आगे कहा गया कि दोनों कॉलेजों की ओर से दूसरे चक्र-2 की असेसमेंट और एक्रेडिटेशन की प्रक्रिया के लिए खुद से आवेदन नहीं किया। एनएएसी ने लिखा कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने न तो A&A के लिए चक्र-1 के लिए मान्यता प्राप्त की है और न ही स्वेच्छा से भाग लिया है।
यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से लिखा है, 'अल-फलाह विश्वविद्यालय, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का एक उपक्रम है, जो परिसर में 3 कॉलेज चला रहा है। इनमें अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, एनएएसी द्वारा ग्रेड ए), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (2008 से), और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, एनएएसी द्वारा ग्रेड ए) शामिल हैं। एनएएसी का कहना है कि ये पूरी तरह गलत है और जनता खासकर अभिभावकों, छात्रों और हितधारकों को गुमराह कर रहा है।
Delhi terror blast case | National Assessment and Accreditation Council (NAAC) issued a show-cause notice to Al-Falah University in Faridabad for displaying false accreditation on its website.
— ANI (@ANI) November 13, 2025
The notice reads, "... It is brought to the notice of NAAC that the Al-Falah… pic.twitter.com/Wze75uqUmM
काउंसिल ने पूछे ये सवाल
यूनिवर्सिटी द्वारा गलत मान्यता दावा करने पर एनएएसी की कार्यकारी समिति ने शोकॉज नोटिस जारी किया है। इसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी से कई सवालों के जवाब मांगे गए हैं।
- अल-फलाह विश्वविद्यालय के विरुद्ध कानूनी सहित उचित कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए?
- विश्वविद्यालय को एनएएसी द्वारा भविष्य में मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए विचार हेतु अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए?
- एनएएसी को यूजीसी से अल-फलाह विश्वविद्यालय की मान्यता यूजीसी की धारा 2(एफ) और 12बी के अंतर्गत वापस लेने की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
- एनएएसी को एनएसी से अल-फलाह विश्वविद्यालय के एनएमसी द्वारा मान्यता प्राप्त कार्यक्रमों की एनएमसी मान्यता वापस लेने की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
- एनएएसी को एनटीसीई से अल-फलाह विश्वविद्यालय के एनटीसीई द्वारा मान्यता प्राप्त कार्यक्रमों की एनटीसीई मान्यता वापस लेने की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
- एनएएसी को राज्य सरकार (हरियाणा सरकार) से अल-फलाह विश्वविद्यालय के विरुद्ध उचित समझी जाने वाली कार्रवाई आरंभ करने की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
- एनटीसीई को एआईसीटीई से अल-फलाह विश्वविद्यालय की मान्यता वापस लेने की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
विवादों में क्यों है अल-फलाह यूनिवर्सिटी?
बता दें कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित है। हाल ही में दिल्ली लाल किले के पास धमाके के मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया है। जांच एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट में मारा गया संदिग्ध आतंकी डॉ. उमर इसी यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। इसके अलावा अन्य कई डॉक्टर और प्रोफेसर इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े थे, जो 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' में गिरफ्तार किए गए हैं।
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