Bandook Wali Gali: अंग्रेजों के जमाने से मशहूर है 'बंदूक वाली गली', जानें कैसे पड़ा नाम और क्या है कहानी?

Delhi Bandook Wali Gali
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बंदूक वाली गली की कहानी

Delhi Bandook Wali Gali: दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने की एक गली है, जिसे बंदूक वाली गली के नाम से जाना जाता है। इसका इतिहास बड़ा ही रोचक है। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी...

Delhi Bandook Wali Gali: दिल्ली में एक जगह है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस जगह का नाम है बंदूक वाली गली। ये पुरानी दिल्ली में स्थित है। कहा जाता है कि बंदूक वाली गली अंग्रेजों के जमाने से है। पुराने समय में ये काफी मशहूर जगह हुआ करती थी। आइए आज हम आपको इसके पीछे का का किस्सा बताते हैं।

इस गली का नाम सुनने में काफी रोचक है और इसकी तरह ही रोचक है इसके पीछे की कहानी। यह गली दिल्ली के अजमेरी गेट के पास है, इस गली का पुराना ऐतिहासिक नाम आज भी बरकरार है। अब आप सब के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर गली का ये नाम कैसे पड़ा होगा?

हम बात कर रहे हैं ब्रिटिश राज के दौर की... जब अंग्रेजों का राज था। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि अंग्रेजों के शासनकाल में हथियारों के छोटे-छोटे कारखाने थे। इस इलाके में बंदूक बनाने के कारखाने हुआ करते थे, जहां काफी बंदूकें बनाई जाती थीं। अंग्रेज अपनी सैन्य क्षमता को बढाने के लिए स्थानीय स्तर पर भी हथियारों का निर्माण करवाते थे। इस गली से हथौड़ों के खटखट की आवाज और बारूद की गंध आया करती थी, जिसके कारण इस गली का नाम बंदूक वाली गली रख दिया गया। हालांकि, इतिहासकार आर.वी. स्मिथ का कहना है कि इस नाम को रखने के पीछे का कोई ठोस सबूत नहीं है।

1947 का बंटवारा भी ना बदल सका इस गली का नाम

यह गली पुरानी दिल्ली की सामाजिक विविधता और संस्कृति की पहचान है। 1947 के बंटवारे के समय में इस गली में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान चले गए थे। उनकी जगह इस गली को नए लोगों ने अपना रहने का आश्रय बना लिया। इस गली की रौनक तो जरूर बदली किन्तु नाम वही रहा।

1857 की क्रांति से जुड़ा नाम

कुछ लोगों का कहना है कि 1857 की क्रांति के समय इस गली में हथियारों का जखीरा रखा जाता था। बंदूक वाली गली में वो लोग आकर रहते थे, जो क्रांति में भाग लेने के लिए बंदूक अपने पास रखते थे। हालांकि इन सब बातों का भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

आज गली की पहचान

वर्तमान समय में इस गली में ना तो कोई कारखाना है, ना कोई बंदूक और ना ही बारूद की गंध आती है। ये गली अब रिहायशी इलाका बन चुकी है लेकिन इसका नाम आज बी वही है, जो दिल्ली के इतिहास का हिस्सा है। यहां आप अजमेरी गेट से कुछ कदम दूरी पर, छावनी बाजार से निकलकर पहुंच सकते हैं। स्थानीय लोग इस गली का नाम बड़ी शान से लेते हैं। उनका कहना है कि यह नाम दिल्ली के इतिहास की जीवंतता को बनाए हुए है।

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