Delhi Assembly: विधानसभा के 'फांसी घर' पर विवाद, सीएम ने की एफआईआर दर्ज कराने की मांग

CM Rekha Gupta targeted Arvind Kejriwal for Hanging House in Delhi Assembly Controversy
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दिल्ली विधानसभा में फांसी घर विवाद, सीम रेखा ने अरविंद केजरीवाल पर साधा निशाना

Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र में कथित फांसी घर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी मामले को लेकर सीएम रेखा गुप्ता ने पूरे मामले की जांच के लिए एफआईआर कराने की मांग की है।

Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा में मानसून सत्र 4 अगस्त से चल रहा है। मानसून सत्र के दूसरे दिन से कथित फांसी घर को लेकर सत्ता और विपक्ष में तकरार बरकरार है। विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में फांसी घर होने की बात कही, तो वहीं सत्ता पक्ष बीजेपी ने पूरे मामले को झूठ बताया।

सीएम रेखा गुप्ता ने विधानसभा के एक हिस्से में फांसी घर होने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही इसे इतिहास के साथ खिलवाड़ बताते हुए शहीदों का अपमान करने और जनता के साथ धोखा बताया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता व सदन से आग्रह किया कि विधानसभा भवन में जो 'फांसी घर' संबंधी भ्रामक बोर्ड लगे हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए और इस पूरे मामले की जांच के लिए एफआईआर दर्ज कराई जाए।

सीएम रेखा गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए, सहानुभूति बटोरने के लिए बिना किसी सबूत, दस्तावेज और बिना किसी ऐतिहासिक आधार के विधानसभा भवन के एक हिस्से को फांसी घर घोषित कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झूठे प्रचार अभियान के लिए 1 करोड़ रुपए खर्च किए गए। उन्होंने इसकी वसूली सुनिश्चित करने और संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने और विस्तृत जांच बिठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ये केवल राजनीतिक नाटक नहीं बल्कि जनता के साथ किया गया धोखा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम सच सामने लाएं और इस ऐतिहासिक भवन की गरिमा की सच्चाई सुरक्षित रखें।

बता दें कि दिल्ली विधानसभा का भवन साल 1912 में बनाया गया था। साल 1913 से 1926 के बीच यहां इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की बैठकें हुआ करती थीं। इस भवन का एक हिस्सा जिसे 'फांसी घर' बताया जा रहा है, वो ब्रिटिश काल में अंग्रेज अफसरों के लिए बनाई गई सर्विस सीढ़ियां हुआ करती थीं। इन सीढ़ियों का इस्तेमाल टिफ्न सर्विस और अन्य दूसरे कामों के लिए किया जाता था। वहीं पुरानी दिल्ली की जेल मौलाना आजाद कॉलेज परिसर में हुआ करती थी और वहीं पर अपराधियों को फांसी दी जाती थी।

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