Delhi Artificial Rain: दिल्ली में 'आर्टिफिशियल रेन' के लिए IMD ने दी मंजूरी, जानें कैसे होगी राजधानी में बारिश?

IMD approves artificial rain in Delhi
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दिल्ली में कृत्रिम बारिश को IMD ने मंजूरी दी

Delhi Artificial Rain: दिल्ली में आर्टिफिशियल रेन कराने के लिए IMD की ओर से मंजूरी मिल गई है। अब सिर्फ आसमान में अनुकूल मौसम और बादलों के आते ही प्रोजेक्ट शुरू कर दिया जाएगा।

Delhi Artificial Rain: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए आसमान की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने पहली बार राजधानी में आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) कराने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया है। अब सिर्फ मौसम और बादलों की अनुकूलता का इंतजार है, जिसके बाद स्पेशल प्लेन के जरिए क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। दिल्ली के आसमान में उपयुक्त नमी वाले बादल आते ही आर्टिफिशियल रेन का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया जाएगा।

बता दें कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ओर से भी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है। बीते बुधवार को दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जैसे ही उचित नमी वाले बादल नजर आएंगे, आर्टिफिशियल बारिश की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

कब कराई जाएगी बारिश?
इस पायलट प्रोजेक्ट का साइंटिफिक और टेक्निकल संचालन IIT कानपुर द्वारा किया जाएगा। इसके तहत तहत 5 टेस्ट फ्लाइट्स चलाई जाएंगी। इनमें से हर फ्लाइट एक से डेढ़ घंटे तक ऑपरेट करेगी। बता दें कि ये उड़ानें दिल्ली के बाहरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में होंगी। इस प्रोजेक्ट के लिए मुख्य रूप से निंबोस्ट्रेट्स बादलों को चुना किया जाएगा, जो 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर होंगे। साथ ही इन बादलों में कम से कम 50 फीसदी नमी होनी चाहिए। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 3.21 करोड़ रुपए है, जो दिल्ली सरकार की ओर से फंड किया जाएगा।

क्या है इस प्रोजेक्ट का मकसद?
बता दें कि इससे पहले IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग के 7 सफल ट्रायल किए हैं, जो अप्रैल से जुलाई के बीच सूखा प्रभावित इलाकों में किए गए थे। अब इस टेस्ट को दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट का मकसद यह जानना है कि क्या इस आर्टिफिशियल रेन से हवा में मौजूद PM10 और PM2.5 जैसे प्रदूषकों की मात्रा में कमी लाई जा सकती है।

पायलट प्रोजेक्ट के मेन पॉइंट

  • IMD रियल टाइम पर बादलों की स्थिति, ऊंचाई और नमी के साथ हवा की दिशा समेत अन्य जानकारियां उपलब्ध कराएगा।
  • क्लाउड सीडिंग के लिए IIT कानपुर की टीम Cessna विमान में फ्लेयर-बेस्ड सिस्टम से सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन सॉल्ट और रॉक सॉल्ट मिलाकर विशेष मिश्रण का इस्तेमाल करेगी।
  • एयर क्वालिटी पर होने वाले असर का विश्लेषण करने के लिए मॉनिटरिंग स्टेशनों से निगरानी रखी जाएगी।
  • इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुल 5 फ्लाइट के उड़ानों की योजना बनाई गई है। इसमें से हर एक कम से कम 100 स्क्वायर किमी एरिया में एक से डेढ़ घंटे के लिए ऑपरेट करेगी। साथ ही ये उड़ानें राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, संसद भवन जैसे हाई सिक्योरिटी वाले क्षेत्रों से दूर की जाएंगी।
  • इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए ज्यादातर NOC मिल गई है। अब सिर्फ विमानों की उड़ान के लिए कुछ छोटी औपचारिकताएं बची हुई हैं।
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