Delhi Pollution: दिल्ली जैसा था बीजिंग में प्रदूषण, बड़े कदमों से जीती जंग, क्या हैं इसके सबक?

Delhi should learn from Beijing Pollution
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दिल्ली को प्रदूषण से निपटने के लिए बीजिंग से सीखना चाहिए।

Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर होता जा रहा है। दशकों पहले चीन की राजधानी बीजिंग का हाल दिल्ली जैसा ही था, लेकिन वहां की सरकार ने कुछ बदलाव किए, जिसके बाद बड़ी राहत मिली थी।

Delhi Pollution: दिल्ली में इन दिनों वायु प्रदूषण अतिगंभीर स्थिति में है। बीती शाम धुंध की चादर के कारण इंडिया गेट तक दिखना बंद हो गया था। सोमवार को दिल्ली के बहुत से इलाकों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक और गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। ऐसा नहीं है कि वायु प्रदूषण केवल हमारे शहरों में ही है। अगर हम प्रदूषण से जूझने वाले विश्वभर के शहरों पर नजर डालें, तो चीन के बीजिंग का हाल दिल्ली जैसा ही था, लेकिन प्रदूषण के खिलाफ उसकी सफल जंग एक मिसाल है। 2016 के बाद वहां की सरकार और प्रशासन ने कई ऐसे बड़े बदलाव किए, जिससे प्रदूषण से बड़ी राहत मिली।

एक दशक से भी ज़्यादा समय पहले, चीन की राजधानी बीजिंग में भी स्थिति कुछ दिल्ली जैसी ही थी। साल 2013 में बीजिंग के वायु प्रदूषण को 'एयरपोकैलिप्स' कहा गया था। दुनिया की स्मॉग राजधानी कहे जाने वाले बीजिंग में हर साल वायु प्रदूषण के कारण हजारों मौतें होती थीं। इसे लेकर वहां बड़े रणनीतिक फैसले लिए गए-

  • उस समय बीजिंग ने हवा को साफ करने के लिए 100 अरब डॉलर की बहुवर्षीय रणनीतिक परियोजना शुरू की।
  • इस रणनीति के तहत प्रदूषणकारी कारखानों को बंद किया गया।
  • हीटिंग के लिए चारकोल के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई।
  • आम वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता देना जैसे कदम उठाए गए थे।
  • सरकार के इस कदम से प्रमुख प्रदूषकों में काफ़ी कमी आई और वायु प्रदूषण के कारण होने वाली असामयिक मौतों की संख्या में भी कमी आई।

दिल्ली को सीखनी चाहिए ये बातें

  • दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों का भी हाथ है। इसका एक कारण पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना भी है। इसके लिए सरकार को सीमावर्ती राज्यों के साथ एक समन्वित, दीर्घकालिक कार्य योजना बनानी चाहिए।
  • साथ ही प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने जैसा कदम उठाने की भी बहुत ज्यादा जरूरत है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हवा में मिलकर हवा को और दूषित करता है।
  • सख्त औद्योगिक और कार उत्सर्जन नियम लागू करने की भी जरूरत है। अस्थायी समाधानों पर निर्भर रहने के बजाय, प्रदूषण के सभी स्रोतों, जैसे वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, कचरा जलाना और निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल, पर विशेष ध्यान दें।
  • सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का आधुनिकीकरण करें, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को प्रोत्साहित करें और ज़्यादा पार्किंग शुल्क वाले निजी वाहनों के इस्तेमाल को सीमित करें।

हालांकि दिल्ली के अधिकारी इनमें से कुछ उपायों को लागू कर रहे हैं, लेकिन इन्हें एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा होना चाहिए न कि केवल वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर प्रतिक्रियात्मक कदम उठाने चाहिए।

प्रदूषण रोकथाम के लिए उठाए गए कदम

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का कारण बढ़ते वाहन, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना और हवा की गति धीमा होना है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में ग्रैप-2 के तहत पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं।

  • इसके तहत दिल्ली में आने वाले बीएस-4 कमर्शियल वाहनों पर रोक लगा दी गई है।
  • साथ ही एनडीएमसी नें सड़कों पर वाहनों के आवागमन पर नियंत्रण करने के लिए पार्किंग फीस दोगुनी कर दी है, जो 1 नवंबर से लागू हो चुका है।
    इसके अलावा एंटी-स्मॉग गन्स सड़कों पर पानी का छिड़काव कर रही हैं।
  • इसके अलावा हाल ही में क्लाउड सीडिंग कर बारिश कराने की भी कोशिश की गई थी, जो सफल नहीं हो सकी है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे निजी वाहनों की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से अपने गंतव्य तक पहुंचें।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली का वायु प्रदूषण बीमारियों की मुख्य वजह है। इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एवेल्युएशन (IHME) ने अपनी रिसर्च में पाया है कि दिल्ली में प्रदूषण के कारण साल 2023 में 17188 मौतें हुई थीं, जो दिल्ली में होने वाली सभी मौतों का 15 प्रतिशत है।

'मुमकिन हो, तो दो महीने के लिए दिल्ली छोड़ दें'

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोग खासकर बच्चे और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। ये बच्चे और बुजुर्गों के लिए ही नहीं युवाओं के लिए भी काफी हानिकारक है। युवाओं को भी प्रदूषण के कारण खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन और सांस लेने में समस्या जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मुमकिन हो सके, तो लोग दो महीने के लिए दिल्ली छोड़ दें।

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