संसद में पालतू कुत्ते के साथ पहुंचीं रेणुका चौधरी: भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने जताई आपत्ति, कहा- सख्त कार्रवाई हो

संसद परिसर में पालतू कुत्ता लेकर पहुंचीं रेणुका चौधरी।
Congress MP Renuka Chowdhary: कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद रेणुका चौधरी संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन जैसे ही अपने पालतू कुत्ते के साथ परिसर में पहुंचीं, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। संसद परिसर में पालतू जानवर को लेकर प्रवेश करना अचानक चर्चा का विषय बन गया। इस घटना ने न केवल सांसदों के आचरण और विशेषाधिकारों को लेकर सवाल खड़े किए, बल्कि शिष्टाचार और संसदीय मर्यादा पर भी नई बहस छेड़ दी।
रेणुका चौधरी के कुत्ते के साथ पहुंचने के तुरंत बाद भाजपा के वरिष्ठ सांसद और उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज से सांसद जगदंबिका पाल ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद देश की नीतियों, जनभावनाओं और लोकतांत्रिक विमर्श का पवित्र स्थल है, जहां इस तरह के आचरण की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उनके अनुसार सांसदों को मिले विशेषाधिकारों का अर्थ यह नहीं है कि वे किसी भी प्रकार से अमर्यादित व्यवहार करें।
पाल का कहना था कि संसद देश की जनता के प्रतिनिधियों की गंभीर चर्चाओं का स्थान है, जहां अनुशासन और गरिमा बनाए रखना आवश्यक है। ऐसे में पालतू कुत्ते को परिसर में लाना लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों का अपमान है, और यह जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है। उन्होंने इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
#ParliamentWinterSession | Delhi: On the controversy over bringing a dog to Parliament, Congress MP Renuka Chowdhary said, "Is there any law? I was on my way. A scooter collided with a car. This little puppy was wandering on the road. I thought it would get hit. So I picked it… pic.twitter.com/fNPkCMfOyX
— ANI (@ANI) December 1, 2025
इसमें क्या तकलीफ है- रेणुका चौधरी
विवाद बढ़ने पर रेणुका चौधरी ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि इस छोटे, गूंगे जानवर से किसी को क्या परेशानी हो सकती है। उनका कहना था कि यह कुत्ता काटने वाला नहीं है, जबकि कई ‘काटने वाले’ तो संसद के अंदर ही मौजूद हैं। उनके इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया। भाजपा सांसदों ने इसे असंसदीय टिप्पणी बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताया।
पूरा मामला अब शिष्टाचार बनाम अभिव्यक्ति, आचरण बनाम विशेषाधिकार की बहस को हवा दे रहा है। जहां एक तरफ विपक्ष इसे साधारण घटना बताते हुए भाजपा की प्रतिक्रिया को अतिरंजित बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे संसद की गरिमा के खिलाफ कदम मान रहा है।
मामला आगे बढ़कर संसदीय समिति या लोकसभा सचिवालय के स्तर पर कार्रवाई की मांग तक पहुंच चुका है। इस विवाद ने सत्र की शुरुआत को ही राजनीतिक रंग दे दिया है और आने वाले दिनों में इस पर और बयानबाजी की संभावना जताई जा रही है।
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