CM Rekha Gupta: कोविड-19 के दौरान गंवाई जान, सीएम रेखा ने उनके परिजनों को दिए 1-1 करोड़ रुपए

CM Rekha Gupta
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सीएम रेखा गुप्ता।

CM Rekha Gupta: सीएम रेखा गुप्ता ने कोविड महामारी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले कर्मचारियों के 11 परिवारों को सीएम रेखा ने 1-1 करोड़ रुपए का चेक दिया। उन्होंने कहा कि उनकी कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता।

CM Rekha Gupta: कोविड महामारी के दौरान पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ था। इस दौरान लाखों सरकारी कर्मचारी ऐसे थे, जो अपने देश की जनता की सेवा में लगे हुए थे। इसी तरह दिल्ली में भी हजारों कर्मचारी अपनी जान की परवाह न करते हुए जनता की सेवा में डटे हुए थे। इस दौरान कुछ कर्मचारियों की जान भी चली गई। दिल्ली सरकार ने उन वीरों के परिवारों को सम्मान देते हुए एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी है।

कोविड महामारी के दौरान प्राण गंवाने वाले लोगों के 11 परिवारों को सीएम रेखा गुप्ता ने 1-1 करोड़ रुपए का चेक सैंपा। इस दौरान सीएम रेखा ने कहा कि सरकार किसी की जान की भरपाई नहीं कर सकती। जिन वीरों ने कोविड महामारी के दौरान अपने प्राण गंवाए, उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा, 'परिवार के व्यक्ति के चले जाने की भरपाई सरकार कभी नहीं कर सकती। परिवार के किसी व्यक्ति का चला जाना अपने आप में बहुत बड़ा सेटबैक होता है। हमारे कर्मचारियों ने कोविड के दौरान बहुत शिद्दत से काम किया। अपना जीवन दांव पर लगाकर उन्होंने हमारी सेवा की थी। हम उनके इस काम के लिए उन्हें प्रणाम करते हैं। भगवान दिवंगत आत्माओं को शांति दे। उनके परिवारों को 1-1 करोड़ रुपए का चेक दिया जा रहा है। आपको सरकार की तरफ से हुई परेशानी के लिए हम क्षमा मांगते हैं।'

बता दें कि दिल्ली के अलग-अलग विभागों में काम करने वाले डॉक्टरों, नर्सों, सफाईकर्मियों, शिक्षकों और अन्य फ्रंटलाइन कर्मचारियों ने कोविड महामारी के दौरान अपनी ड्यूटी निभाते हुए अपनी जान गंवा दी थी। सीएम रेखा ने कहा कि ये लोग असली योद्धा थे, जिन्होंने संकट के समय जनता का साथ नहीं छोड़ा और पूरी लगन के साथ अपना काम करते रहे।

सीएम रेखा ने पुरानी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकार ने राहत राशि देने की घोषणा की थी। लेकिन 5 साल बीत गए इसके बावजूद किसी परिवार को पैसे नहीं मिले। नई सरकार ने पैसे देने की प्रक्रिया को सरल बनाकर इसे तेजी से पूरा किया। सीएम ने कहा कि ये करना हमारा कर्तव्य था। लेकिन दुख की बात है कि पिछली सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।

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