CJI Surya Kant: सीजेआई सूर्यकांत के समर्थन में उतरे 44 रिटायर्ड जज, रोहिंग्या को लेकर बताए 5 तथ्य

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CJI सूर्यकांत समर्थन में आए 44 रिटायर्ड जज। 

CJI Surya Kant: सीजेआई सूर्यकांत द्वारा रोहिंग्या को लेकर की गई टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। अब पूर्व जजों ने इस अभियान को गलत बताते हुए उनका समर्थन किया है।

CJI Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट में CJI सूर्यकांत ने कुछ दिन पहले रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 44 जजों ने CJI का समर्थन करते हुए उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की कड़ी आलोचना की है।

उन्होंने इस अभियान को 'मोटिवेटेड कैंपेन' बताया है। इन रिटायर्ड जजों ने CJI के समर्थन में लिखे लेटर में कहा है कि, '..हम रिटायर्ड जज, रोहिंग्या प्रवासियों से जुड़ी कार्यवाही के दौरान माननीय चीफ जस्टिस की टिप्पणियों के बाद, जिसमें 5 दिसंबर, 2025 का ओपन लेटर भी शामिल है, उन्हें निशाना बनाने वाले मोटिवेटेड कैंपेन पर अपनी कड़ी आपत्ति जताते हैं।'

ओपन लेटर की आलोचना

44 रिटायर्ड जजों ने सीजेआई के खिलाफ लिखे 5 दिसंबर के ओपन लेटर की आलोचना भी की है, जिसमें कुछ जजों, वकीलों और कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच की टिप्पणी पर असहमति जताई थी। लेटर में कहा गया था कि '2 दिसंबर को रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में की गई कुछ अभद्र टिप्पणियां (सीजेआई की बेंच में) गहरी चिंता' का विषय है।' ऐसे में रिटायर्ड जजों ने प्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ चले अभियान को लेकर मोर्चा खोला है। जजों ने कहा है कि उन्हें 'सुप्रीम कोर्ट का अपमान मंजूर नहीं है, उन्होंने कहा है कि न्यायिक कार्यवाही की सही और सोच-समझकर ही आलोचना की जानी चाहिए।'

तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया-जज

44 जजों ने सीजेआई के खिलाफ कथित अभियान चलाने वालों को लेकर कहा है, 'चीफ जस्टिस पर सबसे आधारभूत कानूनी प्रश्न पूछने के लिए हमला हो रहा है...कानून के अनुसार, कोर्ट के सामने जिस स्टेटस (रोहिंग्याओं को लेकर) का दावा किया जा रहा है,वह स्टेटस किसने दिया है?' इन जजों ने कहा है कि सीजेआई के खिलाफ अभियान चलाने वाले बेंच के इस स्पष्ट रुख को नजरअंदाज कर दिया कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान, चाहे वह नागरिक हो या विदेशी उसे उत्पीड़न,गायब या अमानवीय बर्ताव का शिकार नहीं बनाया जा सकता और प्रत्येक इंसान की इज्जत का सम्मान किया जाना चाहिए। इन जजों ने लिखा, 'इसे (तथ्य) दबाना और फिर कोर्ट पर 'अमानवीयकरण' का आरोप लगाना, असल में कही गई बात को पूरी तरह से तोड़-मरोड़कर पेश करना है।'



रोहिंग्याओं के लिए 5 तथ्य

  • रोहिंग्या भारतीय कानून के तहत शरणार्थी के रूप में भारत नहीं आए। उन्हें किसी कानूनी शरणार्थी सुरक्षा के माध्यम से एंट्री नहीं मिली है।
  • भारत ने न तो 1951 के यूएन रिफ्यूजी कंवेंशन पर हस्ताक्षर किया है और ना ही इसके 1967 के प्रोटोकॉल पर।
  • यह एक गंभीर मामला है कि गैर-कानूनी तरीके से भारत में गैरकानूनी तरीके से आने वाले लोगों के कब्जे से आधार कार्ड, राशन कार्ड और दूसरे भारतीय डॉक्यूमेंट्स पाए गए हैं।
  • इन स्थितियों को देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि कोर्ट की निगरानी में एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम पर विचार होना चाहिए।
  • म्यांमार में रोहिंग्या की स्थिति भी समस्याओं से घिरी हुई है, इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। वहीं भी पुराने समय से बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी माना जाता रहा है। उनकी भी नागरिकता पर सवाल उठ रहे हैं।

उनके लिए रेड कार्पेट बिछा दें- CJI

बता दें कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या प्रवासियों की हिरासत से गायब होने के मामले को लेकर सुनवाई हुई थी। उसी दैरान रोहिंग्या के शरणार्थी स्टेटस को लेकर सवाल किया था। और यह भी पूछा था कि क्या घुसपैठियों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाना चाहिए। CJI ने रोहिंग्याओं के लिए कहा था कि पहले बाड़ पार करके या सुरंग खोदकर गैर-कानूनी रूप से दाखिल होते हैं और फिर भोजन, पानी और शिक्षा का अधिकार मांगने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत देश में गैर कानूनी तरीके से दाखिल होने वाले के लिए क्या अब हम उनके लिए रेड कार्पेट बिछा दें।

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