Delhi Government: मेडिकल स्टोर्स पर CCTV कैमरे लगाने के आदेश, RCDA ने किया विरोध, लिखी चिट्ठी

Cameras in Medical Stores
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मेडिकल स्टोर्स में लगाना होगा कैमरा।

Delhi Government: दिल्ली सरकार के मेडिकल स्टोर्स पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने का विरोध किया जा रहा है। रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस का कहना है कि इस फैसले से मरीज दुकानों पर आकर सामान खरीदने से बचेंगे।

Delhi Government: दिल्ली सरकार ने मेडिकल स्टोर्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए। मेडिकल स्टोर्स के मालिकों ने इसका विरोध किया। इस फैसले के खिलाफ रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखी है। आरडीसीए ने सरकार के इस कदम को निजता के अधिकार का हनन बताया। साथ ही सरकार से अपील की कि वो इस आदेश को वापस ले लें।

मेडिकल स्टोर्स के मालिकों का कहना है कि सरकार के इस कदम से 'मरीजों की निजता के अधिकार का हनन' होगा। आरडीसीए के अध्यक्ष संदीप नांगिया ने कहा कि अगर मेडिकल स्टोर्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाते हैं, तो मरीज दुकान पर आकर ऑफलाइन दवाइयां खरीदने से बचेंगे।

जानकारी के अनुसार, 26 जुलाई को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर के पर्चे के बिना 'आदत डालने वाली' दवाओं की ओवर-द-काउंटर सेल पर अंकुश लगाने के लिए आदेश दिया कि सभी दवाओं की दुकान पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। 18 अगस्त को राष्ट्रीय नारकोटिक्स समन्वय पोर्टल की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर्श के पर्चे के बिना दवाई बेचने पर अंकुश लगाने के उपायों के बारे में चर्चा की गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद बीएनएस की धारा 152 के तहत निर्देश दिया गया कि दक्षिण जिले में शेड्यूल 'एच', 'एच 1' और 'एक्स' दवाएं बेचने वाले सभी मेडिकल स्टोर/केमिस्ट/फार्मेसी की दुकानों को अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। ऐसे में सीसीटीवी फुटेज के जरिए डिस्ट्रिक्ट ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी, एसडीएम या पुलिस अधिकारी आकस्मिक जांच कर सकेंगे। अगर कोई भी व्यक्ति आदेश का उल्लंघन करता पाया गया, तो दोषी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इस बारे में ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के अधिकारी ने कहा कि स्टेट लेवल नेशनल नारकोटिक्स कॉर्डिनेशन पोर्टल ने खुलेआम नशीले पदार्थों की बिक्री रोकने के लिए ये आदेश दिया है। अगर रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस एसोसिएशन को कोई समस्या है, तो वे इस मामले को अदालत में लेकर जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ये आदेश केवल एक जिले के लिए नहीं बल्कि पूरी दिल्ली के लिए है।

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