Bollywood: गाने का मौका नहीं मिला तो... टुन टुन यह धमकी देकर बन गईं पहली हास्य अभिनेत्री

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बॉलीवुड की पहली हास्य अभिनेत्री टुन टुन। 
हिंदी सिनेमा की पहली हास्य अभिनेत्री टुन टुन ने अपने करिअर की शुरुआत पार्श्व गायिका के तौर पर की थी, लेकिन बाद में उन्हें हास्य अभिनेत्री के रूप में भी खासी पहचान मिली। पढ़िये उनकी कहानी...

मेरी जिंदगी ने मुझे मुंबई आने को मजबूर कर दिया। मैं गा भी सकती हूं... अगर गाने का मौका नहीं मिला तो खुद को समुद्र में छलांग लगा दूंगी। यह धमकी देकर उमा देवी खत्री को पहली बार बड़े पर्दे पर गाने का मौका मिल गया। शायद आपने नाम सुनकर इन्हें पहचाना नहीं होगा, लेकिन पुरानी फिल्में देखी होंगी तो भी यह तस्वीर देखकर उन्हें शायद न पहचान पाए।

कारण यह है कि वो अपने असली नाम की जगह टुन-टुन की नाम से पहचानी गई हैं। अब ज्यादातर पाठक समझ गए होंगे कि हम किनकी बात कर रहे हैं, लेकिन सोच रहे होंगे कि वे तो हास्य अभिनेत्री कलाकार थी, फिर बता दें कि हास्य अभिनेत्री बनने से पहले उन्होंने गायिकी में भी अपनी प्रतिभा दिखाई थी। आज उनकी पुण्यतिथि है... तो इस खास मौके पर उनकी जिंदगी पर प्रकाश डालते हैं।

टुन टुन का बचपन गरीबी में गुजरा

उमा देवी खत्री यानी टुन टुन का जन्म 1923 को यूपी के अमरोहा जिले के छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके माता-पिता और भाई की जमीन विवाद में हत्या हो गई थी, उस वक्त उनकी उम्र करीब दो ढाई साल थी। दो वक्त के खाने के लिए बतौर नौकरानी रिश्तेदारों के पास छोड़ दिया गया। उन्होंने बताया कि गरीबी का सफर बचपन से शुरू होकर किशोरावस्था तक चलता रहा। परेशान होकर उन्होंने मुंबई जाने का फैसला ले लिया।

धमकी देकर पाया गायन का मौका

उमा ने बताया था कि मुंबई आते ही उन्होंने संगीतकार नौशाद अली का दरवाजा खटखटाया और कहा कि मैं गा सकती हूं, अगर मौका नहीं मिला तो समुद्र में छलांग लगा देंगी। उनकी यह बात सुनकर ऑडिशन लिया और गायन के लिए पास कर दिया। उन्हें नजीर की वामिक अजरा में एकल पार्श्व गायिका के रूप में गीत गाने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने पार्श्व गायन में छाप छोड़नी शुरू कर दी।

अफसाना लिख रही हूं...

पुराने गीतों के प्रेमी 'अफसाना लिख रही हूं दिल-ए-बेकरार का', 'ये कौन चला मेरी आंखों में समा कर' और 'आज मची धूम धूम खुशी से झुम' जैसे गीतों के आज भी कायल हैं। उनके गाने से प्रेरित होकर पाकिस्तान से एक शख्स मुंबई पहुंचा, जिनका नाम अख्तर अब्बास काजी था। किसी वक्त वे उनकी मदद करना चाहते थे, लेकिन बंटवारे के बाद उन्हें लाहौर जाना पड़ा। बाद में उन्होंने मुंबई पहुंचकर टुन टुन के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा। टुन टुन अपने पति का नाम मोहन बताती हैं। उन्हें दो बेटियां और दो बेटे थे।

बन गईं पहली हास्य अभिनेत्री

टुन टुन ने बतौर पार्श्व गायिका के रूप में करिअर की शुरुआत की, लेकिन लता मंगेश्कर, सुमन कल्याणपुर जैसी उभरती गायिकाओं के चलते प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल था क्योंकि उनकी गायन शैली पुरानी और सीमित स्वर सीमा में बंधी थी।

नौशाद ने सबसे पहले उन्हें सुझाव दिया कि उनका व्यक्तित्व चुलबुला है, इसलिए हास्य अभिनेत्री का किरदार आजमाना चाहिए। इसके बाद टुन टुन ने शर्त रखी कि वो ट्रेजेडी किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार के साथ काम करेंगी ताकि पता चला कि दर्शकों पर उनके अभिनय की कितनी छाप पड़ती है।

नौशाद ने इस बारे में बात की, जिसके बाद टुन टुन को 1960 में आई बाबुल में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ नरगिस मुख्य अभिनेत्री थी। बताते हैं कि उमा देवी को टुन टुन का नाम दिलीप कुमार ने ही दिया था।

इसके बाद टुन टुन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक अपनी कॉमेडी से दर्शकों को हंसाने के लिए मजबूर कर दिया। टुन टुन का 24 नवंबर 2003 को मुंबई में 80 साल की उम्र में निधन हो गया था, लेकिन आज भी उनका किरदार हम सभी के दिलों में जिंदा है।

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