Bird Flu: दिल्ली के चिड़ियाघर में 'बर्ड फ्लू' कितना खतरनाक, मनुष्यों को क्या होता है नुकसान?

बर्ड फ्लू।
Bird Flu: इन दिनों दिल्ली के चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैला हुआ है। इसके कारण अब तक 12 पक्षियों की मौत हो चुकी है। वहीं बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने अगले आदेश तक चिड़ियाघर को बंद कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि पक्षियों के अंदर पाया जाने वाले वायरस की पुष्टि H5N1 के रूप में हुई है। इस वायरस के पाए जाने के बाद पूरे चिड़ियाघर परिसर को सैनिटाइज किया जा रहा है और सुरक्षा प्रोटोकॉल भी सख्ती से लागू किए गए हैं। निगरानी दल दिन में दो बार सर्वेक्षण कर रहे हैं। वहीं पूरे परिसर पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से भी निगरानी रखी जा रही है।
ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर बर्ड फ्लू क्या है? इसका पक्षियों पर कितना असर पड़ता है और ये मनुष्यों के लिए कितना नुकसानदायक है। तो चलिए शुरू करते हैं...
बर्ड फ्लू क्या है और पक्षियों पर इसका असर?
बता दें कि बर्ड फ्लू, या एवियन इन्फ्लूएंजा पक्षियों में पाया जाने वाला एक वायरल है, जो इन्फ्लूएंजा ए वायरस के कारण होता है। ये जंगली पक्षियों से घरेलू पक्षियों तक में फैल सकता है। इसके कारण पक्षियों की अचानक मौत हो सकती है। इसके अलावा अंडों के उत्पादन में कमी, पक्षियों को सांस लेने में दिक्कत आदि का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि ये वायरस अब सिर्फ पक्षियों और इंसानों तक सीमित नहीं है। डेयरी मवेशी भी इस वायरस सी पीड़ित पाए गए हैं।
बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है?
बर्ड फ्लू जानवरों से लेकर इंसानों तक के लिए खतरनाक है। बर्ड फ्लू के कारण पक्षियों की जान चली जाती है। वहीं मनुष्यों के लिए भी ये बेहद खतरनाक है। बर्ड फ्लू के कारण मनुष्यों में कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। समय पर इलाज न मिलने के कारण इससे इंसानों की भी मौत हो सकती है।
इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण
बता दें कि बर्ड फ्लू इंसानों पर भी गंभीर असर डालता है। बुखार, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और आंखों में संक्रमण इसके लक्षण हैं। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। गंभीर लक्षणों में बर्ड फ्लू के कारण निमोनिया, दस्त, एन्सेफलाइटिस (दिमाग में सूजन) हो सकती है और इसके कारण इंसानों की मौत भी हो सकती है।
पक्षियों से इंसानों में कैसे पहुंचता है बर्ड फ्लू?
संक्रमित पक्षियों जैसे चिकन, कबूतर आदि का सेवन करने से बर्ड फ्लू फैल सकता है। इसके अलावा डेयरी मवेशियों में फैले वायरस के कारण भी ये वायरस इंसानों तक पहुंच सकते है। गाय, भैंस आदि का दूध पीने, मल के संपर्क में आने, जानवरों या पक्षियों का मीट खाने आदि से फ्लू फैल सकता है। इसके अलावा जानवरों या पक्षियों में मौजूद कणों के श्वसन नली तक पहुंचने के कारण बर्ड फ्लू फैल सकता है।
क्या है बर्ड फ्लू का इतिहास?
अगर बर्ड फ्लू के इतिहास की बात करें, तो पहली बार वैज्ञानिक रूप से इसकी पहचान साल 1901 में हुई थी। 1959 में पहली बार स्कॉटलैंड में पोल्ट्री के बीच दर्ज किया गया। मनुष्यों में बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में हांगकाग में H5N1 वायरस सामने आया था। इसके बाद साल 2005 में स्कॉटलैंड में पोल्ट्री के बीच H5N1 प्रकोप देखने को मिला। इसके बाद से ये वायरस अकसर पक्षियों और मनुष्यों में देखा गया।
