Bala Fort: दिल्ली से 150 किलोमीटर की दूरी पर है ये खूबसूरत किला, छिपे हैं कई रहस्य, युद्ध के बाद यहीं रुका था बाबर

Alwar fort
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अगर आप कम समय में दिल्ली के अलावा कंही और घूमना चाहते हैं और खूबसूरत, रहस्यमयी, भारतीय संस्कृति का नजारा देखना चाहते हैं, तो एक बार आप दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलवर का किला देखने जरूर जाएं। आइए जानते हैं यहां की खासियत...

Visiting Places of Alwar: वीकेंड पर घूमने के लिए खास है राजस्थान का किला। यह किला दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं है, यहां पर सिर्फ 3 घंटे में पहुंचा जा सकता है। यह जगह बेहद खास है, क्योंकि इस जगह पर आप प्रकृति के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का भी खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। बता दें कि अलवर में सबसे मशहूर अलवर का किला है। इसे बाला किला भी कहते हैं। यह 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर है।

सिटी पैलेस में देख सकते हैं मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला

ददरअसल अलवर अरावली पहाड़ियों पर है। इस किले से पूरा शहर बहुत ही ज्यादा खूबसूरत दिखता है। बता दें कि इसके नीचे जो सिटी पैलेस है, यहीं पर मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला भी देखने को मिलती है। अगर आपको भूतिया जगहें पसंद हैं और भूतों की कहानियां सुनने में मजा आता है, तो अलवर के भानगढ़ किले में पहुंचें। इसे भूतिया जगहों में गिना जाता है। यहां नाइट टूर भी होते हैं। यह जगह रहस्यमयी है लेकिन इतिहास प्रेमियों और फोटोग्राफी के लिए बेस्ट है।

चारों तरफ हरियाली

अलवर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी मशहूर है। मानसून में यहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। यहां के पहाड़ भी मन मोह लेते हैं। यहां सिलीसेढ़ झील है जो इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। शाम को डूबता सूरज इस जगह को खास बना देता है। इस झील में आप बोटिंग कर सकते हैं।

वन्यजीवों के शौकीन देख सकेंगे दुर्लभ जानवर और पक्षी

अगर आप प्रकृति के साथ-साथ वन्यजीवों के भी शौकीन हैं, तो यह जगह आपके लिए सबसे अच्छी है। यहां सरिस्का टाइगर रिजर्व है, जहां आपको बाघ, तेंदुए ही नहीं, बल्कि कई तरह के दुर्लभ जानवर और पक्षी भी देखने को मिलेंगे। फोटोग्राफी के लिए यह जगह अच्छी है। यहां जंगल सफारी का भी मजा लिया जा सकता है।

अलवर में पहली बार बना था कलाकंद

अगर आपको मिल्क केक पसंद है, तो बता दें, यह मिठाई इसी शहर की देन है। कलाकंद अलवर में ही बनना शुरू हुआ था। यह मिठाई गाढे दूध से बनती है। इस मिठाई को दानेदार बनाया जाता है। इस मिठाई को सबसे पहले बाबा ठाकुर दास हलवाई ने 1947 में बनाया था।

भक्ति भाव के नजरिए से भी खूबसूरत है अलवर

अलवर एक ऐतिहासिक जगह है। इस जगह का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। यहां कई पुराने मंदिर हैं, जहां दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां का नीलकंठ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। बता दें कि यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इसी स्थान पर भर्तृहरि मंदिर भी है। पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन जगहों पर भाद्रपद की अष्टमी तिथि पर मंदिर में मेला लगता है। इसके साथ ही साथ नारायणी मंदिर में एक जादुई जल स्रोत है।

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