कैश कांड: जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका खारिज, जानें पूरा मामला

Supreme Court rejected Petition of Justice Yashwant Varma
X

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज की।

Justice Yashwant Varma: सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड में फंसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को झटका देते हुए उनके द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।

Justice Yashwant Varma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज) को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की कैश-एट-होम मामले में दायर याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने उनके घर पर मिले अधजले अथाह कैश मामले में सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उन्हें पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस मामले में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई करते हुए 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें कि 14 मार्च की रात को जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली में स्थित सरकारी आवास के बाहर स्टोर रूम में आग लग गई थी। इस दौरान जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे। उनके परिवार ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को कॉल कर उनसे मदद मांगी। आग बुझाने के लिए दिल्ली फायर डिपार्टमेंट ने तत्काल एक टीम उनके घर पर भेजी। आग बुझाने के दौरान उनके सरकारी बंगले के स्टोर रूम में भारी मात्रा में कैश देखा गया।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 20 मार्च 2025 को कॉलेजियम की एक बैठक बुलाई। इस बैठक में जस्टिस वर्मा के घर पर मिले कैश के बारे में चर्चा की गई और उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने का प्रस्ताव लाया गया। हालांकि इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने भी प्रदर्शन किया था और उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में न करने की मांग की थी। सीजेआई ने तीन जजों की इन हाउस समिति का गठन किया। इस समिति में न्यायमूर्ति जीएस संधवालया, न्यायमूर्ति अनु शिवरामन और न्यायमूर्ति शील नागू थे। समिति ने 55 गवाहों और फोटो वीडियो को सबूत मानते हुए निषकर्ष निकाला कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार को कैश के बारे में जानकारी थी।

तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को पद से इस्तीफा देने की सलाह दी। हालांकि जस्टिस वर्मा ने उनकी इस सलाह को ठुकरा दिया। इसके बाद सीजेआई खन्ना ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भेजी। अब इस मामले में लोकसभा और राज्यसभा में महाभियोग की कार्रवाई जारी है।

संसद में महाभियोग प्रस्ताव के बाद जस्टिस वर्मा ने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट के साथ ही तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उन्हें पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। इस याचिका में उन्होंने इन-हाउस प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए महाभियोग पत्र रद्द करने की मांग की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story