AIIMS स्टडी में खुलासा: संक्रमण फैला रहीं कैथेटर नली, 2020 में मिले सबसे ज्यादा केस

कैथेटर को लेकर दिल्ली एम्स की स्टडी।
AIIMS Study: लोग इलाज अस्पताल के लिए अस्पतालों में जाते हैं। कई बार इलाज के लिए मरीजों के शरीर में कई तरह की नलियां लगाई जाती हैं। मरीज की हालत ज्यादा खराब होने पर शरीर में पोषक तत्व पहुंचाने के लिए इन्हीं नलियों की मदद से तरल पदार्थ पहुंचाए जाते हैं। इसके अलावा इंजेक्शन्स, दवाइयां आदि भी इसी की मदद से पहुंचाए जाते हैं। मेडिकल भाषा में इन नलियों को कैथेटर कहते हैं। इसकी मदद से इलाज करने में आसानी होती है। हालांकि एक स्टडी में सामने आया है कि इन कैथेटर के कारण बेहद गंभीर संक्रमण फैलता है।
हाल ही में दिल्ली एम्स की एक स्टडी से पता चला है कि इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले कैथेटर से ब्लडस्ट्रीम संक्रमण फैल रहा है। भारत के तमाम अस्पतालों की इंटेंसिव केयर यूनिट्स यानी ICU में कैथेटर का इस्तेमाल होता है। स्टडी में सामने आया है कि इन कैथेटर के कारण बड़े स्तर पर संक्रमण हो रहा है।
जानकारी के अनुसार, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस विकसित कर चुके सूक्ष्मजीवों के कारण अकसर ये संक्रमण होता है। इन माइक्रोब्स पर एंटीबायोटिक दवाएं भी असर नहीं करती हैं। इसके बाद मरीजों को अस्पताल में और ज्यादा समय तक भर्ती रहना पड़ता है, जिससे इलाज का खर्चा भी बढ़ जाता है।
द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में एक रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अस्पतालों के ICU में जहां पर मरीजों की बड़ी नस में डाली जाने वाली कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है। वहां हर 1,000 सेंट्रल लाइन-डे में से 9 में ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन देखने को मिलता है। बता दें कि सेंट्रल लाइन-एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन्स (CLABSI) वो संक्रमण हैं, जो अस्पताल के वातावरण में हो जाते हैं। हालांकि इनसे बचा भी जा सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस संक्रमण के कारण बीमारी और मृत्यु दर पर गंभीर असर पड़ता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ICU में ब्लडस्ट्रीम संक्रमण की दर पर नजर रखने से हेल्थ सिस्टम को रोकथाम के उपाय डेवलप करने में मदद मिल सकती है। हालांकि भारत में ऐसे संक्रमणों की संगठित निगरानी प्रणाली को स्थापित कर पाना ही बेहद चुनौतीपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत जैसे देश में पर्याप्त संसाधनों की कमी है और ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की जरूरत होती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस स्टडी के लिए 1 मई 2017 से 30 अप्रैल 2024 तक देशभर के 54 अस्पतालों में 200 आईसीयू वार्ड का एनालिसिस किया गया। इन सालों में 8629 लैब द्वारा ब्लड स्ट्रीम संक्रमण के मामले सामने आए। इससे पता चला कि 1000 सेंट्रल लाइन-डे पर 8.83 लोगों को कैथेटर से संक्रमण हुआ। सबसे ज्यादा मामले कोविड महामारी के दौरान दर्ज किए गए। शोधकर्ताओं का मानना है कि आईसीयू में ज्यादा भार, स्टाफ की कमी और संक्रमण नियंत्रण उपायों की कमी के कारण ये संक्रमण फैलता है।
