Carbide Gun: पटाखों से ज्यादा खतरनाक कार्बाइड गन! AIIMS दिल्ली में आए कई मामले, बैन की मांग

Carbide Gun Injury
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दिल्ली में कार्बाइड गन बैन करने की मांग।

Carbide Gun: एम्स में इस साल दिवाली के दौरान आंखों में चोट लगने के 190 से अधिक मामले सामने आए। इनमें करीब 20 मामले कार्बाइड गन से चोट लगने के थे। ऐसे में डॉक्टरों ने इस पर बैन लगाने की मांग की है।

Carbide Gun Injury: इस साल दिवाली पर पटाखों से झुलसने और कार्बाइड गन से आंखों में चोट लगने के काफी ज्यादा मामले आए हैं। दिल्ली एम्स में इलाज के लिए पहली बार बहुत से ऐसे केस आए, जिनमें कार्बाइड गन से लोगों की आंखें बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं। डॉक्टरों ने तुरंत इस पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की है। कार्बाइड गन एक रासायनिक हथियार जैसा देशी यंत्र है, जो पटाखे की तरह धमाका करता है।

डॉक्टरों का कहना है कि कार्बाइड गन से आंखों को होने वाला नुकसान नॉर्मल पटाखे से कहीं ज्यादा है। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि इस साल दिवाली पर आंखों में चोट लगने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई। इस साल कुल 190 मरीजों ने दिल्ली एम्स में अपना इलाज करावाया। इनमें से 18-20 मामले में कार्बाइन गन के कारण चोट लगी थी। वहीं, पिछले साल आंखों में चोट लगने के कुल 160 मामले आए थे।

आंखों में चोट के गंभीर मामले

आरपी सेंटर की चीफ डॉ. राधिका टंडन ने बताया इस साल पटाखे जलाने की अनुमति मिलने और सोशल मीडिया पर कार्बाइड गन बनाने के वीडियो वायरल होने से ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली पर नया और चिंताजनक ट्रेंड दिखा, जो गंभीर केमिकल बर्न जैसी चोटें हैं। इसमें आंख की सतह जल जाती है और कॉर्निया सफेद पड़ जाता है।

उन्होंने बताया कि इस तरह की चोटें स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इस साल पूरे भारत में लगभग 1,000 ऐसे मामले सामने आए हैं। इनमें से 18-20 मामले उनके यहां पर आए हैं।

क्या है कार्बाइड गन?

बता दें कि कार्बाइड गन असल में एक देशी यंत्र है। इसे पीवीसी पाइप से तैयार किया जाता है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड डाला जाता है। जब इसमें पानी डाला जाता है, तो एसिटिलीन गैस बनती है। इसमें चिंगारी लगते ही तेज धमाका होता है। इस धमाके में पाइप के प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े तेजी से छिटकते हैं, जो आंखों में जाकर फंस जाते हैं। ये इतने खतरनाक होते हैं कि इससे आंखों की रोशनी तक भी जा सकती है।

इसे बनाने के बहुत सारे वीडियो और ट्यूटोरियल सोशल मीडिया पर मिल जाते हैं, जिसे देखकर बच्चे इसे घर पर ही बना लेते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि स्कूलों में तुरंत इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, वरना हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं।

आंखों की रोशनी वापस लाना मुश्किल!

एम्स के आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज में नेत्र विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा के कहा कि कार्बाइड गन के मामले अनोखे थे और इनसे गंभीर चोटें आईं। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी टीम दिवाली पर तैनात थी। रात भर सर्जरी करने के लिए दोगुने स्टाफ और डॉक्टर तैनात किए थे।

उस रात कम से कम 18 ऑपरेशन किए गए और अगले दिन तक जारी रहे। डॉ. शर्मा ने बताया कि इनमें से 10 फीसदी मामलों में दृष्टि वापस पाना मुश्किल होगा। उनमें से आधे से ज्यादा दृष्टि दोष से पीड़ित होंगे। ऐसे कम ही मामले हैं, जिनमें हल्की चोटें आईं हैं। यह कार्बाइड गन तीन गुना ज्यादा घातक है।

दिल्ली-एनसीआर से कितने मामले?

एम्स की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि इस दिवाली एम्स में भर्ती हुए 190 मरीजों में से 44 फीसदी दिल्ली-एनसीआर के थे। इसके अलावा 56 प्रतिशत मरीज उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पड़ोसी इलाकों से आए थे। इनमें से लगभग 17 फीसदी मरीजों की दोनों आंखों में चोटें आई हैं। वहीं, 44 फीसदी केस में ओपन ग्लोब इंजरी हुई, जिसमें तुरंत सर्जरी करनी पड़ी, जिससे आंख की संरचना और रोशनी को बचाया जा सके।

ऐसे मामले सिर्फ दिल्ली-एनसीआर से ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी देखने को मिले। मध्य प्रदेश के भोपाल और विदिशा में 100 से ज्यादा लोग कार्बाइड गन से घायल होकर अस्पताल पहुंचे। इनमें ज्यादातर 8 से 14 साल के बच्चे शामिल थे। ऐसे में कार्बाइड गन पर तुरंत बैन लगाने की जरूरत है।

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