Compensation for Dog Attack: आवारा कुत्तों के काटने पर मांगा 20 लाख का मुआवजा, MCD को देना होगा जवाब

आवारा कुत्तों के हमले से घायल पीड़िता ने मांगी 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि।
दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर में आवारा कुत्तों के हमले से घायल महिला ने 20 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता की अर्जी पर दिल्ली नगर निगम को मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है। खास बात है कि पीड़िता ने मुआवजे की राशि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के आधार पर तैयार किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक निजी बैंक में बतौर सहायक शाखा प्रबंधक प्रियंका राय 7 मार्च को बाइक पर सवार होकर जा रही थी। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया। उनके शरीर पर दांतों के 42 निशान पाए गए। वहीं, मांस भी त्वचा से अलग हो गई थी। प्रियंका राय का कहना है कि इस हमले के बाद उन्हें न केवल शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ी, बल्कि भावनात्मक और आर्थिक रूप से भी नुकसान हुआ। उन्होंने 20 लाख रुपये की मुआवजे की मांग की है।
करिअर और वेतन कटौती झेलनी पड़ी
पीड़िता का कहना है कि आवारा कुत्तों के हमले की वजह से उन्हें इलाज के लिए बिस्तर पर रहना पड़ा। कुत्तों का खौफ उनके दिल में इस कदर बैठ गया कि उन्हें इस सदमे से उबरने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी। इन सबके चलते उन्हें छुट्टी लेनी पड़ी, जिसकी वजह से वेतन और करिअर भी नाकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने किस आधार पर 20 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है।
इस आधार पर बनाया मुआवजे का आधार
उन्होंने बताया कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2023 को आदेश जारी किया था कि कुत्ते के काटने पर पीड़ित को प्रति दांत के निशान के हिसाब से न्यूनतम 10 हजार रुपये वित्तीय सहायता दी जाए। वहीं, मांस अगर त्वचा से अलग हो गया है, तो 0.2 सेंटीमीटर के हिसाब से न्यूनतम 20 हजार रुपये मुआवजा पीड़िता को देना होगा।
उन्होंने कहा कि कुत्तों के हमले से घायल उनके शरीर पर 42 दांतों के निशान पड़े और 12 सेंटीमीटर घाव हुए। दांतों के हिसाब से 4.2 लाख रुपये और मांस के त्वचा अलग होने के लिए 12 लाख रुपये मुआवजा बनता है। इस हमले से मानसिक अघात भी पहुंचा, जिसके लिए 3.8 लाख रुपये अलग से मांगे हैं। कुल मिलाकर 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि बनती है।
पीड़िता के वकील का कहना है कि उच्च न्यायालय किसी अन्य उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन न्यायालय के आदेश प्रभावकारी होते हैं, विशेषकर तर्क ठोस और तथ्यात्मक आधार सामान हो। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर एमसीडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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