Bio CNG: दिल्ली में रोज होता है 5210 टन कूड़ा, बन सकती है 17 हजार कारों के लिए सीएनजी

Bio CNG from Delhi Garbage
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दिल्ली के कचरे से बन सकती है बायो सीएनजी।

Waste in Delhi-Bio CNG: दिल्ली में रोजाना 5210 टन कूड़ा पैदा होता है। इससे 1 लाख 74 हजार किलो बायो सीएनजी बनाई जा सकती है। इससे रोजाना 17400 गाड़ियों में ईंधन की खपत को पूरा किया जा सकता है।

Waste in Delhi-Bio CNG: दिल्ली में रोजाना 5210 टन कूड़ा पैदा होता है। अगर इसे ठीक से इस्तेमाल किया जाए, तो ये कचरा बहुत फायदेमंद हो सकता है। गीले कचरे से रोजाना 1,74,000 किलो बायो सीएनजी/बायो मीथेन बनाई जा सकती है। इतनी बड़ी मात्रा में सीएनजी से रोजाना 17 हजार से ज्यादा कारों की ईंधन खपत को पूरा किया जा सकता है। केंद्रीय विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने बायो सीएनजी को लेकर विस्तृत रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट में किया गया आकलन

इस रिपोर्ट को बायो सीएनजी फ्रॉम म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट नाम से जारी किया गया। इस रिपोर्ट का आकलन किया गया है कि देश के किस राज्य के गीले कचरे से कितनी बायो सीएनजी पैदा की जा सकती है? इस लिस्ट में पहले नंबर पर महाराष्ट्र का नाम है। यहां गीले कचरे से रोजाना 389 टन बायो-सीएनजी बनाई जा सकती है। वहीं इस लिस्ट में छठवें स्थान पर दिल्ली आती है। दिल्ली में रोजाना 5210 टन गीला कचरा पैदा होता है। इससे 174 टन बायो सीएनजी गैस तैयार की जा सकती है। इससे 17,400 कारों को ईंधन खपत को पूरा किया जा सकता है।

खाद की जगह बायो सीएनजी बनाना एक अच्छा ऑप्शन

उदाहरण के लिए: अगर एक कार पूरे दिन में औसतन दस किलो सीएनजी खपत करती है, तो इस हिसाब से प्रतिदिन 17400 कारों की ईंधन खपत पूरी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आमतौर पर गीले कचरे से खाद बनाने पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि बायो सीएनजी उत्पादन की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। इस कचरे से बायो सीएनजी पैदा करना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। बड़े स्थानीय निकायों को इस तरह के संयत्र लगाने चाहिए, जिससे बायो सीएनजी बनाई जा सके।

बायो सीएनजी बनाने में बाधा

हालांकि वर्तमान समय में कचरे से बायो सीएनजी बनाने में सबसे बड़ी परेशानी है हमारा कचरा एकत्रित करने का तरीका। रिपोर्ट के अनुसार, सूखे और गीले कचरे को पूरी तरह से अलग-अलग एकत्रित किया जाना चाहिए। ऐसा करने से इस कचरे का इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया जा सकता है। शहरों को हर तीन साल में अपने यहां के कचरे का ऑडिट कराना चाहिए। इससे ये पता चल सकेगा कि किस शहर में कितना कचरा पैदा हो रहा है और वो किस किस्म का कचरा है। इस तरह से कचरा प्रबंधन की योजना बनाई जा सकती है।

खाद और बायो सीएनजी में क्या बनाना सही?

रिपोर्ट में कहा गया कि गीले कचरे से खाद बनाते समय आसपास के लोग बदबू आने की शिकायत करते हैं। लेकिन खाद बनाने का सही प्रबंधन नहीं होने के कारण कचरा सड़ते समय उससे निकलने वाला लिक्विड (लीचेट) जमीन के अंदर चला जाता है। इसकी वजह से भूमिगत जहरीला बनता है और साथ ही इस काम में ज्यादा लोगों को मेहनत करने की जरूरत होती है। वहीं अगर बायो सीएनजी बनाई जाए, तो बायो सीएनजी संयंत्र में बदबू नहीं होती। इसके लिए ज्यादा जमीन की जरूरत भी नहीं पड़ती।

क्या है बायो सीएनजी?

बता दें कि बायो सीएनजी जीवाश्म ईंधन नहीं होता है। स्थानीय स्तर पर ही इसका उत्पादन किया जा सकता है। इसे सीएनजी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं बायो गैस का इस्तेमाल रसोई गैस की तरह से लेकर वाहनों के संचालन तक में किया जा सकता है।

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