विश्व पर्यावरण दिवस: पेड़ों से ऐसा लगाव...पीपल के नाम पर मोहल्ले का नाम, टहनी तक छुए बिना बनाए पक्के मकान

विनोद नामदेव - गंडई पंडरिया। गंडई नगर से महज 5 से 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत खैरा में एक ऐसा मोहल्ला है, जिसका नामकरण वहां सदियों से खड़े एक पीपल वृक्ष के कारण हुआ है पीपरपारा। यह मोहल्ला, जिसमें 20 से 22 घर हैं, अपनी गली में स्थित इस 100 वर्ष से भी अधिक पुराने पीपल पेड़ में गहरी आस्था रखता है। मोहल्ले वालों की दिनचर्या में इस पीपल वृक्ष की नित्य पूजा-अर्चना शामिल है। मोहल्ले के निवासी हिरामन सेन ने बताया कि यह पीपल वृक्ष इतना पुराना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है, वे इसे विशालकाय रूप में देखते आ रहे हैं। उनके पिताजी के बचपन से पहले यह पेड़ यहां मौजूद है।
हिरामन सेन ने एक और दिलचस्प बात बताई कि पहले पूरा मोहल्ला कच्चे घरों वाला था, लेकिन धीरे-धीरे मोहल्ले वालों ने अपने घर पक्के करवाए। जिन घरों के नीचे पीपल वृक्ष की शाखाएं थीं, उन्होंने भी घर बनवाते समय वृक्ष की किसी भी शाखा को नुकसान नहीं पहुंचाया। बल्कि, उन्होंने शाखाओं के अनुरूप ही अपने घरों का निर्माण कराया, जो इस वृक्ष के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि इस पीपल पेड़ के कारण आज तक किसी भी प्रकार की कोई परेशानी मोहल्ले वालों को नही हुई है।
पीपल वृक्ष न केवल इस मोहल्ले की शान है, बल्कि उसकी पहचान भी है
मोहल्ले के बच्चे भी इस पीपल वृक्ष से बेहद लगाव रखते हैं और इसी पर खेलते हैं। मोहल्ले वालों की इस पीपल के पेड़ पर इतनी गहरी आस्था है कि इसके पास ही एक शिवलिंग भी स्थापित किया गया है। मोहल्ले के इतवारी निषाद, विजय राम निषाद, दीपक निषाद, संजय जंघेल, बीरबल नेताम, कार्तिक नेताम, पकलू नेताम, सेवक जंघेल, श्यामलाल जंघेल, सुमन जंघेल, बुधराम नेताम, जीवराखन जंघेल और अन्य सभी परिवारों का मानना है कि यह पीपल पेड़ एक ब्रह्मचारी पेड़ है। वे न तो स्वयं इसे नुकसान पहुँचाने की सोचते हैं और न ही दूसरों को ऐसा करने देते हैं। यह पीपल वृक्ष न केवल इस मोहल्ले की शान है, बल्कि उसकी पहचान भी बन गया है।
