रोते-बिलखते कलेक्टर बंगला पहुंचीं नन्हीं छात्राएं: नास्ता, खाना के साथ पुस्तक-कापियों की भी बताईं समस्या

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की 100 से ज्यादा छात्राएं अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर बंगले पहुंचीं
पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। जिले में छात्राओं का हल्लाबोल एक बार फिर सड़कों पर नजर आया। कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की 100 से ज्यादा छात्राएं भारी बारिश में भीगते हुए अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर बंगले पहुंचीं। छात्राओं ने विद्यालय में लचर व्यवस्था, भोजन, ड्रेस, किताबों की कमी, और आश्रम अधीक्षक के दुर्व्यवहार को लेकर गंभीर आरोप लगाए।
छात्राओं का कहना है कि, उन्हें समय पर भोजन और पेयजल नहीं मिलता, स्कूल ड्रेस, किताबें और स्टेशनरी अब तक वितरित नहीं की गईं। साथ ही, आश्रम अधीक्षक द्वारा बच्चों से दुर्व्यवहार किया जाता है, जिससे वे मानसिक रूप से भी परेशान हैं।
'छू लो आसमान' के बाद अब कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियां उतरीं सड़क पर
कुछ दिन पहले ही 'छू लो आसमान' आवासीय विद्यालय की छात्राएं भी सड़कों पर उतरी थीं, और अब कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियां भी प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ मुखर हो गई हैं। छात्राओं ने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती, इसलिए अब उन्हें खुद आगे आकर आवाज उठानी पड़ी।
दंतेवाड़ा- कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की 100 से ज्यादा छात्राएं भारी बारिश में भीगते हुए अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर बंगले पहुंचीं. @DantewadaDist #Chhattisgarh #Collector @vishnudsai @ChhattisgarhCMO @SchoolEduCgGov #students pic.twitter.com/Xuy04rPotv
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) July 26, 2025
जिम्मेदार अधिकारी नदारद, मौके पर पहुंचीं तूलिका कर्मा
इस घटनाक्रम के दौरान कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं दिखा, जिससे नाराजगी और बढ़ गई। हालांकि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा तुरंत मौके पर पहुंचीं और बच्चियों की समस्याएं सुनीं। एक तरफ सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दे रही है, और दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि इन आवासीय विद्यालयों में व्यवस्थाएं दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही हैं।
विद्यालय में 200 से ज्यादा बच्चियां
गौरतलब है कि कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में इस समय 200 से अधिक छात्राएं रह रही हैं, जो शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षा और सुविधाओं की उम्मीद लेकर वहां पहुंची थीं। लेकिन हालात देखकर अब वे खुद संघर्ष करने को मजबूर हैं।
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग
बच्चियों और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से आश्रम अधीक्षक को तत्काल हटाने, सुविधाओं में सुधार, और नियमित निगरानी की मांग की है। जिला प्रशासन ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
