वट सावित्री व्रत: सुहागिनों ने पूजा-अर्चना कर की पति के दीर्घायु की कामना

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। हिन्दू धर्म में आस्था और नारी शक्ति का प्रतीक वट सावित्री व्रत इस साल 26 मई 2025, सोमवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है।
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा कर व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—का वास होता है, जिससे इसकी पूजा का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
बलौदाबाजार। वट सावित्री व्रत रखकर महिलाओं ने की पूजा-अर्चना #balodabazar #vatsavitrivrat pic.twitter.com/DseVFS3Ceb
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) May 26, 2025
सावित्री ने यमराज से सत्यवान के प्राण वापल पाए थे
इस व्रत से जुड़ी कथा सावित्री और सत्यवान की है, जिसमें सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प, प्रेम और निष्ठा से यमराज से अपने पति के प्राण वापस पाए थे। यह कथा भारतीय संस्कृति में नारी धर्म, साहस और अटूट विश्वास का प्रेरणास्रोत मानी जाती है। व्रत के दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों और श्रृंगार में वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, धागा बांधती हैं और कथा सुनती हैं।
सोमवती अमावस्या का अत्यंत दुर्लभ संयोग
सबसे खास बात यह है कि, इस बार वट सावित्री व्रत सोमवार को पड़ रहा है, जिससे यह सोमवती अमावस्या भी बन रही है। यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और सौभाग्यशाली माना जाता है। साथ ही, चंद्रमा इस दिन अपनी उच्च राशि वृषभ में संचार करेगा, जो शुभ संकेत है। यह पर्व महिलाओं को न केवल आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि पारिवारिक संस्कार को भी मजबूती देता है। यह पर्व भारतीय समाज में संस्कार, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण है, जो हर साल नई पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ता है।
