चतुर्योग में आज विराजेंगे बुद्धि के देवता श्री गणेश: स्थापना करने मिलेंगे शुभ संयोग

गणेश जी
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गणेश जी।

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर बुधवार को शुक्ल योग भी है। दिनभर में कई मुहूर्त है।

रायपुर। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर बुधवार को शुक्ल योग भी है। जीवन में प्रगति और लोकप्रियता के साथ ही स्थिरता प्राप्त करने के लिए इस दिन बुद्धि के देवता श्री गणेश का स्थापना करना लाभदायक रहने वाला है। शहर के ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे बताते हैं कि भारतीय आध्यात्म में मनुष्य की भावना और बुद्धि दोनों में सामंजस्य को महत्व दिया है।

सदैव समय के अनुसार, शक्ति का उपयोग करके आसुरी और नकारात्मक प्रवृतियों के अंत के लिए प्रयासरत रहती है। सतयुग में सत्य के प्रतिनिधि देव, महादेव शिव और उनकी अर्दधांगिनी शक्ति स्वरूपा मां पार्वती की संतान के रूप में जब गजानन का अवतरण हुआ तो, इसका उद्देश्य मानव जीवन का कल्याण जब भी सत्य मन और शक्ति को लेकर असंतुलन होगा और जीवन में बाधाएं आयेंगी तो उसके निवारण का सारा उत्तरदायित्व भगवान श्रीगणेश का होगा, इसलिए लोग हर साल प्रथम पूज्य गणेश की स्थापना और सेवा का विधान गणेश पक्ष में करते हैं।

दिनभर में कई मुहूर्त

सिंह लग्न में सुबह 7.15 बजे तक स्थापना कर सकते है

वृश्चिक लग्न में सुबह 11.37 से दोपहर 1.52 बजे तक

कुम्भ लग्न में शाम को 5.46 से रात 7.21 बजे तक

वृषभ लग्न में रात 10.35 से मध्यरात्रि 12.34 बजे तक

शुभ संयोग भक्तों के लिए उत्तम फलकारी
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, इस साल भक्तों को गणेश स्थापना के लिए शुभ योग, आनंद योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में गणेश की पूजा और स्थापना के लिए दिनभर में कई मुहूर्त मिल रहा है, जो उत्तम फलकारी है। शास्त्रों में गणेश को एकदंतो महबुद्धिः' कहा गया है अर्थात एकदंत ने समस्या के समाधान के प्रतीक अपने गजशीश के दोनों दांतों का नही अपितु अपने भक्त की समस्या के समूल नाश के लिए मानसिक एकाग्रता और शांति भी प्रदान करने वाला संयोग बन रहा है।

भद्रा का प्रभाव गणेश स्थापना पर नहीं
गणेश चतुर्थी को चन्व दर्शन वर्जित है। चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या आरोप लगता है। ऐसा शास्त्रों में बताया गया है। चंद्रोदय रात 9.01 बजे से प्रभावी है। वहीं दोपहर 3.45 तक मढ़ा है। मता का प्रभाव इसलिए प्रभावी नहीं होगा क्योंकि चन्द कन्या राशि में है। मुहूर्त चिंतामणि में वर्णित है फिर जब चन्द्र कन्या राशि में होता है तो भद्रा पाताल लोक में गमन करती है। अतः भद्रा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।

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